टीएनपी डेस्क(TNP DESK): - संगीत में क्रांतिकारी प्रयोग के लिए अगर किसी संगीतकार को जाना जाता है तो वह हैं राहुल देव बर्मन जिन्हें पंचम दा भी कहा जाता है. पंचम दा को संगीत विरासत में मिली. पिता सचिन देव बर्मन मशहूर संगीतकार थे. राजसी घराने से ताल्लुक रखने वाले आर डी बर्मन मूलतः त्रिपुरा के थे. उनका जन्म 27 जून 1940 को कोलकाता में हुआ. पिता के सानिध्य में उनका संगीत का सफर आगे बढ़ा. संगीत में पाश्चात्य प्रभाव को डालने का श्रेय पंचम दा को जाता है. 1970 से लेकर 90 तक तीन दशक के कालखंड में आर डी बर्मन ने 331 फिल्म में संगीत दिए.कई फिल्मों में उन्होंने गाना भी गाया है. संगीत के प्रेमी पंचम दा के नए-नए प्रयोग के मुरीद थे.
संगीत की दीवानगी उनकी ऐसी थी कि हॉस्पिटल के बेड पर भी म्यूजिक तैयार कर लेते थे. किशोर कुमार के साथ उनकी जोड़ी बेहद हिट मानी जाती थी. राजेश खन्ना के लिए उन्होंने बहुत सारे गाने बनाए. अमर प्रेम, कटी पतंग, मेरे जीवन साथी, हाथी मेरे साथी जैसी फ़िल्में खूब हिट हुईं.
उन्होंने 1966 में रीता नामक एक युवती से शादी कर ली लेकिन यह शादी 5 साल तक ही चली. तलाक हो गया. पंचम दा इससे सदमे में आ गए.इसी दौरान उन्होंने 'मुसाफिर हूं यारों, ना घर है ना ठिकाना' गाना का संगीत कंपोज किया. 1980 में उन्होंने प्रसिद्ध गायिका आशा भोसले से विवाह किया.
उनके बनाए गाने आज भी युवा पीढ़ी को पसंद आते हैं. उन्हें महमूद ने छोटे नवाब फिल्में बतौर संगीतकार काम दिया था. 1942 ए लव स्टोरी उनकी अंतिम फिल्म चाहिए जो हिट रही है. लेकिन वह इस फिल्म की सफलता को देखने के लिए इस दुनिया में नहीं रहे. 4 जनवरी 1994 को उनका मुंबई में निधन हो गया.
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