टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड और आतंकवाद का पुराना नाता है. यहां स्लीपर सेल्स एक्टिव रहते हैं, अलकायदा से लेकर हिज़्ब उत-तहरीर के आतंकी संगठन के संदिग्ध झारखंड के कोने-कोने में फैले हुए हैं. जिनका मकसद है देश में खिलाफत और हर तरफ खून की नदियां बहाना और दहशत के जरिए सरिया कानून लागू करना. इस रिपोर्ट में हम बात करेंगे कि आखिर देश में जितनी भी बड़ी आतंकी घटना हुई उसका तार कैसे झारखंड से जुड़ा और क्यों झारखंड हर बार सुर्खियों में रहा. चाहे गांधी मैदान बम ब्लास्ट की बात करें या फिर अलकायदा मॉडल और अब येरूसलम के आतंकी संगठन के बारे में. कैसे सभी झारखंड से जुड़ते चले गए.

गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट

सबसे पहले बात करेंगे गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट की. 27 अक्टूबर का दिन था और साल 2013. एक तरफ गांधी मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा हो रही थी. मंच पर प्रधानमंत्री संबोधित कर रहे थे और दूसरी तरफ गांधी मैदान में ब्लास्ट होना शुरू हुआ. एक-एक कर कई ब्लास्ट हुए. पटना रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 10 पर भी जोरदार धमाका हुआ. बाद में इस मामले में एक व्यक्ति को पटना से गिरफ्तार किया गया. नाम था इम्तियाज अहमद. जब इसे एनआईए और अन्य एजेंसी ने पूछताछ शुरू की तो उसका लिंक झारखंड से जुड़ा और इंडियन मुजाहिदीन के रांची मॉडल का खुलासा हुआ. जी हां 2013 में हुए सीरियल ब्लास्ट की पटकथा सीडीओ बस्ती में लिखी गई थी.

जब रेड हुई तो इंडियन मुजाहिदीन मॉडल का खुलासा हुआ छापेमारी में कई विस्फोटक और दस्तावेज भी बरामद किए गए. साथ ही इम्तियाज के घर से घड़ी कैलेंडर और कई दस्तावेज थे. यहां पर मोबाइल नंबर भी मिले कैलेंडर पर जब नजर एजेंसी के अधिकारियों की पड़ी तो उस पर गांधी मैदान को लिखकर सर्किल किया गया था.

इसके अलावा इनका अगला टारगेट वाराणसी था और फिर अगले तारीख में वाराणसी पर रेड सर्कल था. जिससे एक बड़ा खुलासा हुआ. उसके बाद जांच एजेंसी और चौकन्ना हो गई. यहां बरामद मोबाइल नंबर की कुंडली निकाली गई तो एक नंबर मिला जिसका नाम मुजीबुल्लाह था जो चकला गांव का रहने वाला था. जब टीम चकला गांव पहुंची तो पता चला कि वह रांची के हिंद पीढ़ी में रहता है और हिंद पीढ़ी के इरम लॉज में लंबे समय से रेंट पर रहता था. जांच एजेंसी उस लॉज तक पहुंच गई. चारों तरफ से लॉज को घेर लिया और जब अंदर तलाशी ली गई तो वहां मुजीबुल्लाह नहीं मिला. वह भाग गया था. पुलिस की मौजूदगी में रूम का ताला तोड़ा गया. जो सामान बरामद हुए उसे देखकर लोग चौंक गए. तीन कार्टून सीरींज थी, 27 टाइमर बम मिले, 25 जिलेटिन और 14 डेटोनेटर बरामद किए गए. उसके अलावा लोटस घड़ी मिली थी जो बम में टाइमर के रूप में इस्तेमाल की जाती है.

बाद में मोजीबुल्लाह को गिरफ्तार किया गया. इस तरह कुल 15 से ज़्यादा संदिग्ध आतंकी गिरफ़्तार किए गए, जो सभी इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़े हुए थे. इंडियन मुजाहिद्दीन को मज़बूत करने के लिए झारखंड से निकले थे और लोगों को पैसे का लालच देकर अपने साथ जोड़ रहे थे. उनका उद्देश्य हर जगह अपनी बात फैलाना था.

अलकायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट से जुड़े डॉक्टर इश्तियाक की हुई गिरफ्तारी

इसके बाद फिर बारी आती है अल कायदा की. अलकायदा तो बड़े हमले की तैयारी कर रहा था. संगठन को विस्तार करने का साथ ही झारखंड में ट्रेनिंग कैंप बनाकर युवाओं को घातक हमले करने की ट्रेनिंग देने की योजना थी. जिसका खुलासा डॉक्टर इश्तियाक के गिरफ्तारी से हुआ. सबसे पहले राजस्थान में अलकायदा के इंडियन मॉडल का खुलासा हुआ, जिसमें अलकायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट संगठन का भंडाफोड़ हुआ. जब एटीएस और एजेंसी को जानकारी मिली कि एक ट्रेनिंग कैंप राजस्थान में चल रहा है तो बाहर रेड की गई. इस रेड में कई लोग गिरफ्तार किए गए. जिनके पास से हथियार हैंड ग्रेनेड और कई सामान बरामद हुए. वहां से लिंक जुड़ा झारखंड का. फिर झारखंड में ताबड़तोड़ छापेमारी हुई. मेडिकल अस्पताल के डॉक्टर से लेकर हजारीबाग, लोहरदगा, जमशेदपुर और रांची तक तार खंगाले गए.

जिसमें सबसे पहले लोहरदगा के कुरु के हिस्ल गांव में दबिश पड़ी तो वहां कई हथियार मिले और दस्तावेज बरामद किए गए, लेकिन यहां से आरोपी भाग निकला. उसके बाद लगातार दबिश बनाई गई तो आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. 10 जनवरी 2025 को छापेमारी में खुलासा हुआ कि साल 2010 से ही अलकायदा का झारखंड मॉडल पर काम जारी था. 2010 में अब्दुल रहमान जमशेदपुर, रांची, लोहरदगा और हजारीबाग पहुंचा था. यहां आने के बाद कई तकरीर में हिस्सा लिया और इसके बाद युवाओं को बहलाकर संगठन से जोड़ता चला गया. 18 जनवरी 2011 से 12 के बीच उसकी गिरफ्तारी हो गई. लेकिन इसके बाद जब झारखंड का लिंक निकलना शुरू हुआ तो खुलासा बड़ा होता चला गया. 15 लोगों की गिरफ्तारी हुई. रांची से लेकर लोहरदगा और हजारीबाग में अलकायदा के झारखंड मॉडल के आतंकी रडार पर आए. कई दस्तावेज बरामद किए गए. इसमें सबसे बड़ा जो खुलासा हुआ यह वह था कि लोहरदगा के बॉर्डर इलाके में जो चंदवा के पास आता है, वहां पर आतंकी संगठन का ट्रेनिंग. टाइम बम बनने वाले कई आतंकी झारखंड पहुंचे थे. उसे इलाके को चिन्हित करके वापस गए थे. उसके लिए ट्रेनिंग के लिए हथियार और अन्य सामान भी जल्दी झारखंड पहुंचने वाले थे. दूसरा ट्रेनिंग कैंप रांची के चंदवा में बनाने की तैयारी थी, एक मदरसा के आगे खाली पड़ी जमीन पर योजना थी कि ट्रेनिंग कैंप चलाया जाएगा. जिसमें युवाओं को कत्लेआम करने की ट्रेनिंग दी जाएगी, लेकिन उनके मनसुबों पर एटीएस ने लगाम लगाया और सभी को सलाखों के पीछे भेज दिया. एटीएस अब आंतकवाद को प्रोत्साहित करने वाले लोगों की भी तलाश कर रही है.

वासेपुर से निकला हिज़्ब उत-तहरीर आतंकी कनेक्शन

अलकायदा और इंडियन मुजाहिदीन की तो कहानी आपने सुन ली. अब जो सबसे नया मामला आया है हिज़्ब उत-तहरीर आतंकी कनेक्शन का. यह अपने आप में चौंकाने वाला है, क्योंकि भारत का पहला मुकदमा वासेपुर से निकलकर सामने आया है. अब तक देश में कहीं भी इस आतंकी संगठन से जुड़े लोग नहीं पकड़े गए थे. एकाएक जब जांच एजेंसी अलर्ट हुई और गुप्त तरीके से वासेपुर के इलाके में रेड पड़ी तो गुलफाम हसन, अयान, जावेद, शबनम परवीन और शहजाद को हिरासत में लिया. उनके पास से पिस्तौल. लैपटॉप. मोबाइल और कई दस्तावेज बरामद हुए. इनका मकसद भी साफ था कि देश में कत्लेआम करना और खिलाफत लाना शरिया कानून लागू करना.

इन तमाम आतंकी संगठनों से साफ है कि एक गहरी साजिश झारखंड से रची जा रही है. चाहे अलकायदा हो, इंडियन मुजाहिदीन हो या फिर अब हिज़्ब उत-तहरीर हो. सभी का मकसद बस एक है. रास्ता अलग-अलग है, लेकिन टारगेट एक सेट करके लगातार आगे बढ़ रहे हैं. ऐसे में जांच एजेंसी को झारखंड में और भी अलर्ट होने की जरूरत है.