लातेहार(LATEHAR): राज्य में शिक्षा का स्तर ठीक नहीं है. यहां के छात्र कम उम्र में ही रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य चले जाते हैं. शिक्षा विभाग ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूल को बंद करने लगे तो ये ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों का भविष्य क्या होगा. यह अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. बच्चे गलत राह पर जा सकते है.
बता दे कि चंदवा के कामता पंचायत के ग्राम भुसाढ के राजकीय प्राथमिक विद्यालय भुसाढ को ग्राम बृंदा के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में मर्ज कर दिया गया. जिससे भुसाढ ग्राम के लोगों में नाराजगी है. भुसाढ से बृंदा गांव की दूरी आठ किलो मीटर है. दूरी अधिक होने से आधे से अधिक छात्र- छात्राओं ने स्कूल जाना ही छोड़ दिया.
भुसाढ विद्यालय में में 70 से अधिक छात्र छात्राओं का नामांकन दर्ज था. कोरोना काल के बाद बच्चों को उम्मीद थी की स्कूल खुलेगी तो वह पढ़ने जाएंगे. लेकिन कोरोना काल के बीच ही स्कूल को दूसरे गांव के स्कूल के साथ मर्ज कर बंद कर दिया गया. गांव का इकलौता स्कूल बंद होने के कारण बच्चों के भविष्य पर अंधेरा सा छा गया. जो बच्चे सुबह होने स्कूल जाते थे वह अब खेल में अपना दिन गुजार रहे है. बच्चों के माता पिता अपने सामने बच्चों का भविष्य बर्बाद होता देख रहे है.
स्कूल बंद होने से भवन की स्थिति भी जर्जर हो गई है. कोरोना काल के बाद ग्रामीणों को यह उम्मीद थी कि जैसे ही स्कूल खुलेगी भुसाढ गांव का स्कूल भी खुल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं होने से ग्रामीणों में शिक्षा विभाग के प्रति आक्रोश है.
इस मामले में माकपा के पूर्व जिला सचिव अयुब खान ने भुसाढ स्कूल को चालू नहीं किए जाने पर हैरानी जताई है. उन्होंने कहा कि विद्यालय बंद होने से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे.सरकार एक तरफ स्कूल चले हम का नारा देती है और दूसरी तरफ स्कूल बंद करना कितना उचित है. उन्होंने जिला उपायुक्त ,शिक्षा पदाधिकारी और शिक्षा मंत्री से विद्यालय चालू कराने की मांग किया है.
रिपोर्ट:अमन प्रताप सिंह,पलामू
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