दुमका (DUMKA) : चुनाव कोई भी हो चुनाव को प्रजातंत्र का महापर्व कहा जाता है और जब किसी शब्द के साथ पर्व जुड़ जाता है तो आम लोगों की खुशी और उत्साह दोगुनी हो जाती है. बात जब पर्व की हो तो महिलाओं और बच्चों से अधिक उत्साह भला किसके हिस्से आएगा. यही बात त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण में दुमका जिला के 4 प्रखंडों में हो रहे मतदान के दौरान आज देखने को मिली. जिले के शिकारीपाड़ा काठी कुंड रामगढ़ और गोपीकंदर थाना क्षेत्र में सुबह 7:00 बजे से ही चुनाव शांतिपूर्ण चल रहा है अधिकांश बूथों पर पुरुष की अपेक्षा महिलाओं की कतार लंबी देखने को मिली. और जब महिलाएं घर की दहलीज लांघ कर अपने मताधिकार का प्रयोग करने मतदान केंद्र तक पहुची तो स्वाभाविक है कि बच्चे तो साथ होंगे ही. हम आपको शिकारीपाड़ा प्रखंड के कुछ मतदन केन्द्र पर बच्चों की मस्ती से अवगत करा रहे हैं.

पेड़ की छांव में दादी संग मुन्ना


प्रखंड के नक्सल प्रभावित सहरपुर बूथ पर महिलाओं की लंबी कतार देखी गयी. मां कतार में खड़ी होकर अपनी बारी का इंतजार कर रही है जबकि एक मासूम चुनाव से अनभिज्ञ पेड़ की छांव में आराम की नींद फरमाते नजर आए. मासूम की रखवाली दादी कर रही थी.

हमारी फुल मस्ती चालू है


 रामगढ़ पत्थर कट्टा में बच्चे पेड़ के नीचे खेलते नजर आए, जबकि परिवार के अन्य सदस्य मत देने में व्यस्त थे. गमरा में एक बच्ची बोली कि माँ पिता के साथ हम भी वोट देने आए थे, लेकिन हमें वोट देने नहीं दिया गया. तब मासूम को समझाया गया कि अभी आपकी उम्र वोट देने की नहीं हुई है.

उनकी वोटिंग, हमारी साइकिलिंग


बरमसिया में एक बच्चा साईकल से मतदान केंद्र पहुचा था. कहा -वैसे तो दोपहर में मां घर से बाहर निकलने नहीं देती. लेकिन आज जब सभी सदस्य वोट देने आ रहे थे तो हम भी साईकल लेकर निकल गए.

दादी के संग मम्मी-पापा का इंतजार

वहीं एक दादी अपने पोता पोती की रखवाली करती नजर आयी, जबकि मा वोट देने के लिए कतारबद्ध नजर आयी.

पांव में चोट, हौसले में दम

अपने यहां गम भुला कर त्यौहार मनाने की परंपरा है. लोकतंत्र के इस महापर्व पर भी ऐसी ही तस्वीर सामने आई. पांव में प्लास्टर बंधा है. पर अपना मताधिकार ऐसे ही कैसे छोड़ दें. सो पहुंच गईं मतदान केंद्र.