दुमका ( DUMKA) -  प्यार एक ऐसा शब्द जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है. प्यार बचपन का हो या जवानी का, हर प्यार का साइड इफ़ेक्ट होता है. आज हम आपको दुमका से प्यार की दो ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसे सुनकर हर प्रेमी युगल सोचने को विवश हो जाएंगे. अजब प्रेम की गजब कहानी के लिए आप देखिए The News Post की खास रिपोर्ट...

 पुलिस-प्रशासन ने रोकी नाबालिग की शादी

  कुछ महीने पहले की बात है. सोशल मीडिया पर एक गाना बड़ी तेजी से वायरल हुआ. गाने का बोल था बचपन का प्यार कहीं भूल नहीं जाना रे इस गाना को गायक सहदेव रातों रात इंटरनेट सनसनी बन गया. राजनेता से लेकर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज तक के साथ सहदेव की तस्वीर वायरल होने लगी. उस वक्त किसी ने नहीं सोचा कि बचपन के प्यार का क्या साइड इफ़ेक्ट हो सकता है. आज हम बात कर रहे है पहले बचपन के प्यार का साइड इफ़ेक्ट की. 

     दुमका जिला के हरिपुर पंचायत के एक गांव में  20 मई को एक नाबालिग लड़की की शादी होने वाली थी. कल शाम तक परिवार वाले शादी की तैयारी में व्यस्त थे. कहीं मंडप की तैयारी हो रही थी तो कहीं टेंट सामियाना तैयार किया जा रहा था. अचानक कल शाम दुमका बीडीओ राजेश कुमार सिन्हा मुफस्सिल थाना प्रभारी उमेश राम और चाइल्ड लाइन के सदस्यों के साथ लड़की के घर पहुच गए और शादी रोकने का निर्देश दिया। दरअसल चाइल्ड लाइन के माध्यम से बीडीओ को यह सूचना मिली कि नाबालिग लड़की की शादी होने वाली है. वहां पहुचने पर अधिकारियों को पता चला कि लड़का भी नाबालिग है. अधिकारियों ने जब लड़की वालों को बताया कि नाबालिग की शादी कानूनन जुर्म है और अगर यह शादी होगी तो सभी के खिलाफ कानूनी कार्यवाई की जाएगी. लड़की वाले अधिकारियों से दो बिंदु पर फरियाद करने लगे. पहला तो यह कि कहीं ऐसा न हो कि 20 मई को लड़का वाला बारात लेकर पहुच जाए. इसलिए लड़के वाले को भी रोका जाए और दूसरा यह कि दोनों के बालिग होने पर कहीं ऐसा ना हो कि लड़का शादी करने से इनकार कर दे. लड़की वाले के अनुरोध पर अधिकारियों की टोली लड़के वाले के घर पहुचे जो उसी पंचायत के दूसरे गांव में है. वहां भी मंडप बनकर तैयार था. मेहमान भी आ चुके थे. अधिकारियों ने जब लड़के वाले को शादी की तैयारी रोकने का निर्देश दिया  तो अंदर ही अंदर लड़के वाले खुश नजर आए. निर्देश देकर अधिकारियों की टोली वापस लौट गए. लेकिन हमें लड़के वालों के चेहरे की खुशी कुछ संदिग्ध लगी. 
                 

पंचायत के फैसले से हो रही थी शादी

लड़की वालों के चेहरे पर मजबूरी की शिकन और लड़के वालों के चेहरे की खुशी की के पीछे की कुछ और ही कहानी सामने आयी. वैसे तो इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है लेकिन सूत्रों की माने तो नाबालिग जोड़े ने वही गलती कर दी जो किशोरावस्था में अक्सर लोग कर बैठते है. बचपन के प्यार का साइड इफ़ेक्ट यह हुआ कि दोनों को लेकर सामाजिक स्तर पर पंचायत हुई और पांचों ने नाबालिग जोड़े को शादी के बंधन में बंधने का फैसला सुना दिया. चूंकि लड़का पक्ष दबाब में शादी के लिए तैयार हुए थे इसलिए प्रशासनिक स्तर पर शादी रोके जाने से उनके चेहरे पर खुशी थी. लेकिन लड़की वालों के लिए तो यह गंभीर समस्या हो गयी. एक तो आज की शादी की तैयारी में रुपया खर्च हुआ ऊपर से दोनों के बालिग होने पर लड़का इसी लड़की से शादी करेगा इसकी गारंटी कौन लेगा. अगर लड़का बालिग होने के बाद शादी से इनकार कर देता है तो भविष्य में उस लड़की की शादी परिजनों के काफी परेशानी का सबब होगा. यह सही है कि प्रसासन कानून के दायरे में रहकर कार्य करेगी और जब प्रसासन के पास दोनों के नाबालिग होने के पुख्ता प्रमाण है तो शादी होने नहीं देगी. उस स्थिति में लड़की के भविष्य का क्या होगा यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.

बिजली खंभे से बांधा प्रेमी युगल को 

तभी तो हमने कहा कि बचपन के प्यार के बाद अब हम आपको जवानी के प्यार का साइड इफ़ेक्ट भी दिखाते है. इस तस्वीर को गौर से देखिए. यह तस्वीर आज की है और मुफस्सिल थाना के शीत पहाड़ी गांव का है. बिजली के खंभे में एक महिला और एक पुरूष को एक साथ रस्सी से बांध कर रखा गया है. आरोप है कि दोनों से कथित तौर पर एक दूसरे से प्यार किया और आज ग्रामीणों के हत्थे चढ़ गए. कोई कह रहा है कि आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ाया तो कोई कह रहा है कि दोनों को बात करते हुए पकड़ा गया. हकीकत जो भी हो लेकिन कानून समाज को इसकी इजाजत नहीं देती. सूचना मिलने पर पुलिस पहुची लेकिन ग्रामीणों के सामने पुलिस की कुछ भी नहीं चली. पुलिस के कहने ओर दोनों को बंधन मुक्त कर दिया गया लेकिन ग्रामीणों ने स्पष्ट कह दिया कि फ़ैसला पंचायत में होगी. पंचायत जारी है. निर्णय क्या होता है यह देखना दिलचस्प है.

कहीं पुलिस तत्पर, तो कहीं लाचार

ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जिस तरह बाल विवाह को रोकने में प्रशासन ने तत्परता दिखाई तो फिर वही पुलिस यहाँ इतनी विवश क्यों है. आखिर क्यों नहीं कथित प्रेमी युगल को ग्रामीणों के चंगुल से मुक्त करा पाई. अमूमन संथाल परगना प्रमंडल में इस तरह के मामलों में पांचों द्वारा आर्थिक दंड ही लगाया जाता है. दंड दोनों पक्ष पर लगाया जाता है और पूरा समाज दंड से प्राप्त राशि से लजीज व्यंजन का लुफ्त उठाता है. वैसे तो पंच को परमेश्वर कहा जाता है लेकिन इस तरह के मामलों में पंच के फैसले ओर भी सवाल खड़े होते है. चाहे नाबालिग जोड़े को शादी के बंधन में बंधने का फरमान हो या फिर बालिग कथित प्रेमी युगल के मामले में आर्थिक दंड का फैसला हो. अगर कोई गलत करता है तो उसके लिए कानून बना है. पांचों को भी यह सोचना होगा.