धनबाद(DHANBAD) : कोयलांचल का यह दुर्भाग्य है कि यहां काम कम होता है, हंगामा अधिक खड़ा किया जाता है. गया पुल का अंडर पास सबकी परीक्षा ले रहा है. धनबाद के बैंक मोड़ का बाजार एक समय अपने चरम पर था. जिस समय कोलियरी निजी हाथों में थी, उस समय राजेंद्र मार्केट का निर्माण हुआ था. लेकिन समय ने ऐसा पलटा खाया कि अब कोई बैंक मोड़ जाना चाहत नहीं है. ऐसी बात नहीं है कि बैंक मोड़ के बाजार में दुकान कम हो गई है. दुकान तो जितनी पहले थी, उससे और अधिक हो गई है. लेकिन खरीदार लापता हो गए है. बैंक मोड़ जाने की सड़क ने बाजार को कमजोर कर दिया है. नया बाजार फ्लाई ओवर की मरम्मत के लिए अभी हाल ही में ट्रैफिक व्यवस्था बंद की गई थी. इसका असर बैंक मोड़ के बाजार पर पड़ा है. सबसे आश्चर्यचक की बात है कि गया पुल अंडर पास को लेकर राजनीति तेज हो गई है.
झूठी क्रेडिट लेने की मची है होड़
इस राजनीति में किसको कितना फायदा होगा, यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन क्रेडिट लेने कि इस होड़ ने ऐसा कोहराम मचाया है कि एक के पीछे दूसरे सभी पड़ गए है. गया पुल के अंडरपास को लेकर सोशल मीडिया पर भी जंग छिड़ी है. तो लोगों के जुबान पर भी इसी की चर्चा है. राजनीतिक दल के लोग भी एक दूसरे पर कटाक्ष कर रहे है. प्रशासन के अधिकारियों ने भी अंडरपास का निरीक्षण किया था और कई निर्देश दिए थे. प्रशासन को रेलवे का साथ नहीं मिल रहा है. शनिवार को सांसद ढुल्लू महतो अपने समर्थकों के साथ पुल के नीचे मोरम, चिप्स डालकर मरम्मत कराया था. समर्थकों ने इसकी खूब वाहवाही लूटी. बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है. इधर, बारिश धनबाद में कहर बरपा रही है. अंडरपास की सड़क की वजह से रोज लंबा-लंबा जाम लग रहा है.
नेताओं ने दी है तीखी प्रतिक्रिया
दूसरी ओर कांग्रेस नेता प्रभात सुरोलिया ने कहा है कि शनिवार को संसद ने, जो श्रमदान किया, वह विशुद्ध रूप से राजनीतिक ड्रामा था. गया पुल अंडर पास के नीचे सड़क की जो मरम्मत कराई गई ,वह रात भर भी नहीं टिक सकी. हालत यह है कि जनता और अधिक परेशान हो गई. चारों ओर कीचड़ ही कीचड़ हो गया है. धनबाद जिला मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष कृष्णा अग्रवाल ने कहा कि गया पुल अंडरपास में दिखावा नहीं, जमीन पर काम करने की जरूरत है. इधर, धनबाद जिला 20 सूत्री कार्यक्रम के उपाध्यक्ष ब्रजेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि गया पुल और अंडरपास के लिए झारखंड सरकार से धनराशि पहले ही हस्तांतरित हो चुकी है, फिर देरी समझ में नहीं आ रही.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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