रांची(RANCHI)-माकपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके जमीन कारोबारी सुभाष मुंडा की हत्या में पुलिसकर्मियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं. पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने इस सवाल को खड़ा करते हुए पूछा कि हर दिन पुलिस का एक पीसीआर वैन नियमित रुप से इस चौक पर खड़ा रहता था, लेकिन वारदात के वक्त वह पीसीआर वैन गायब क्यों थी, अपराधियों की इस बात की जानकारी कैसे थी कि किस दरवाजे पर कैमरा लगा है, क्योंकि वारदात को अंजाम देने के लिए उनके द्वारा पीछे के दरवारे इस्तेमाल किया गया, साफ है कि अपराधियों को उस स्थल की पूरी जानकारी थी, इसी आधार उनके द्वारा इस वारादात में अपराधियों के साथ निकटवर्ती थाने की पुलिसकर्मियों की संलिप्तता का शक जाहिर किया जा रहा है.
आदिवासी मूलवासी संगठनों का 12 घंटों का अल्टीमेटम
इधर इस घटना के आदिवासी संगठनों में व्यापक आक्रोश है, आदिवासी मूलवासी संगठनों के द्वारा प्रशासन को 12 घंटों को अल्टीमेटम दिया गया है, गीताश्री उरांव ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इन 12 घंटों में अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं होती है, तो आदिवासी संगठन अनिश्चितकालीन बंद की शुरुआत की जायेगी. गीता श्री उरांव ने साफ किया कि इस अपराध में अपराधियों के साथ पुलिसकर्मियों की मिलीभगत है.
जमीन विवाद में हुई हत्या!
ध्यान रहे कि सुभाष मुंडा काफी अर्से से जमीन के धंधे से जुड़े थें, वह जमीन कारोबारी कमल भूषण के साथ भी जुड़ कर काम कर चुके थें, इसी आधार पर यह शंका जाहिर की जा रही कि सुभाष मुंडा की हत्या की वजह जमीन कारोबार से जुड़ा कोई विवाद है, दावा यह भी किया जाता है कि हाल के दिनों में सुभाष मुंडा के द्वारा किसी बड़े प्लॉट का सौदा किया गया था, हालांकि वह प्लॉट कहां है और किसके उससे सौदा हुआ था, क्या उक्त जमीन को लेकर सुभाष मुंडा का किसी से विवाद की भी स्थिति थी, इसकी पूरी जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं है, इन सारी बातों का खुलासा पुलिस अनुसंधान के बाद ही संभव होगा.
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