रांची(RANCHI): झारखंड के चर्चित आईएएस अधिकारी विनय चौबे शराब घोटाले में बुरे फंसते नजर आ रहे हैं. ACB ने लंबी पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. ACB के दफ्तर में सदर अस्पताल की मेडिकल टीम पहुंच कर जांच की. बता दें कि छत्तीसगढ़ मॉडल पर शराब नीति बनाकर करोड़ों रुपए की हेरा फेरी की गई थी. जिसमें छत्तीसगढ़ से लेकर झारखंड तक जांच हो चुकी है. फिर बाद में ACB ने इस जांच को हैंडओवर लिया था, अब इसी कड़ी में सीनीयर आईएएस अघिकारी विनय चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह जांच के दायरे में है. उसी के सिलसिले में एसीबी ने आज पूछताछ की. च

दो साल तक चली झारखंड में नई शराब नीति

साल 2022 में झारखंड में नई शराब नीति लाई गई और बताया गया था कि इस नीति से सरकार को बड़ा मुनाफा होने वाला है. लेकिन इस नीति को लागू होते के 2 साल तक करोड़ों का घोटाला शराब के जरिए हो गया. सरकार के खाते में पैसे ना जाकर एक सिंडिकेट बना और उन तमाम लोगों के जेब में पैसा पहुंच गया. इसका खुलासा छत्तीसगढ़ में आर्थिक अपराध शाखा की जांच में हुआ था. क्योंकि जिस छत्तीसगढ़ मॉडल को झारखंड में अपनाया गया था. उसके कई किरदार छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार हो गए और आखिरकार एसीबी ने भी इस मामले की जांच करने को लेकर मामला दर्ज कर लिया.

ईडी भी कर चुकी है पूछताछ

उसके बाद तत्कालीन आबकारी सचिव विनय चौबे से छत्तीसगढ़ में भी पूछताछ हो चुकी है. साथ ही ईडी ने जब इस मामले में जांच शुरू की, तब भी विनय चौबे के ठिकानों पर रेड देखने को मिली थी. उसके बाद समन भेज कर ईडी दफ्तर बुलाकर पूछताछ किया गया था.

कब हुई नई नीति लागू

31 मार्च 2022 से शराब नीति लागू की गई थी. शराब नीति को छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे ने तैयार किया था. नीति झारखंड में 2 साल तक रही और छत्तीसगढ़ शराब नीति के तर्ज पर बड़ा प्लान तैयार किया गया. जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ. आखिर में इस नीति को बदल दिया गया.

छत्तीसगढ़ में बना प्लान

इस पूरे प्लान को छत्तीसगढ़ के रायपुर में तैयार किया गया था और इसमें छत्तीसगढ़ के आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंधक निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, शराब कारोबारी अनवर ढेबर की टीम बनी और इस पूरे खेल को खेला गया.

एक सिंडीकेट के जिम्मे रहा पूरा खेल

बताया जाता है की जांच में एजेंसी को जानकारी मिली कि झारखंड में देसी और विदेशी शराब का ठेका एक विशेष सिंडिकेट को दिया गया.  जिसमें नकली होलोग्राम लगाकर देसी शराब की बिक्री की गई.  और विदेशी शराब का जिम्मा एक विशेष कंपनी को दिया गया जिसके जरिए मोटी रकम कमीशन के तौर पर इन तमाम लोगों को मिल रही थी. कमीशन के तौर पर  मोटी रकम वसूली गई और सरकार के खाते में पैसा नहीं पहुंचा. कई शराब दुकानों में बाहर की शराब बेची जा रही थी.

सीबीआई कर सकती है जांच

इस पूरे मामले में रायपुर की आरती का अपराध इकाई ने सीबीआई को भी जांच के लिए अनुशंसा किया है और पूरे जांच की कॉपी भेजी गई है. संभावना जताई जा रही है कि उसे मामले में सीबीआई एंट्री कर सकती है.

1999 बैच के अधिकारी

अब जान लीजिए कि विनय चौबे कौन है-1999 बैच के झारखंड कैडर अधिकारी है और पूर्व कि हेमंत सरकार में इनका बड़ा जलवा रहा है. 2019 से लेकर 2024 तक प्रधान सचिव रहे हैं.  इसके अलावा चंपई सोरेन के 6 माह वाली सरकार में भी इन्हें प्रधान सचिव बनाया गया था. लेकिन जब हेमंत 2.0 की सरकार बनी तो इसमें इन्हें थोड़ा किनारे किया गया.