खूंटी (KHUNTI) :  झारखंड के ग्रामीण इलाकों में डायन बिसाही के आरोप में आए दिन किसी ना किसी निर्दोष की हत्या कर दी जाती है. कई बार प्रशासन औऱ सरकार के द्वारा डायन से बढ़ते हत्या के रोकथाम के लिए कदम उठाए जाते है, ग्रामीण इलाकों में लोगों को जागरूक किया जाता है. लेकिन इसके बावजूद भी डायन के आरोप में निर्दोष व्यक्ति की हत्या लगातार होती रहती है. ऐसा ही एक मामला खूंटी जिले के अड़की थाना से सामने आया था. जहां रविवार की देर रात कुछ लोगों ने धारदार हथियार से भानु मुंडा (65) की गला काटकर निर्मम हत्या कर थी. जिसमें जांच करते हुए पुलिस ने इस हत्याकांड के तीन दिन के अंदर ही खुलासा कर सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

डीएसपी ने दी मामले की जानकारी

हत्याकांड का खुलाशा करते हुए डीएसपी अमित कुमार ने बताया कि वृद्ध की हत्या के बाद एक एसआईटी टीम का गठन किया गया था. जिसमें टीम ने जांच करते हुए तीन दिन के अंदर हत्याकांड में शामिल 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिसमें इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी एक ओझा भी शामिल है. डीएसपी ने बताया कि पूछताछ में आरोपी ओझा ने बताया कि उसने ही अन्य आरोपियों को मृतक भानु मुंडा की हत्या के लिए उकसाया था. उसने भानु मुंडा की पत्नी गुरूवारी देवी को डायन बताते हुए कहा था कि  जादू टोना कर उसने गांव की दो महिलाओं को मारा है. जिसके बाद सभी ने मिल के इस हत्याकांड की साजिश रची थी और रविवार की देर रात वृद्ध भानु मुंडा की हत्या कर दी थी. फिलहाल पुलिस भानु की गायब पत्नी की तलाशी के लिए सर्च अभियान चला रही है. पुलिस ने आरोपियों के पास से हत्या में इस्तेमाल किया गया एक दउली और एक लोहे का त्रिशूल भी बरामद किया है.  

इन आरोपियों को किया गया गिरफ्तार

पुलिस ने इस हत्याकांड की जांच करते हुए मुख्य आरोपी राम मुंडा जो पेशे से एक ओझा है उसे सुखराम मुंडा. गुरूवा मुंडा, मदन मुंडा, रुशु मुंडा, बाले मुंडा और सामू मुंडा को गिरफ्तार किया है. देखने वाली बात यह होगी की आखिर कब तक डायन बिसाही के आरोप में निर्दोश की हत्या होती रहेगी. क्योंकि एक तरह हमारा विकसित भारत चांद पर पहुंच गया हमारे प्रधानमंत्री अखंड भारत बनाने की बात करते है. लेकिन इसके बावजूद भी आज  ग्रामीण इलाकों में डायन बिसाही का ऐसा लहर दौड़ रहा है. जिसे सरकार और प्रशासन रोकने में नाकाम साबित हो रही है. साथ ही यह कहना बिल्कुल सही होगा की भारत भले ही चांद पर पहुंच गया है लेकिन आज भी भारत के ग्रामीण इलाके चांद के उस गड्ढे के समान है जिन्हें सरकार भरने में नाकाम हो रही है.