टीएनपी डेस्क(TNP DESK): कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव पार्टी के लिए ही सरदर्द बन गया है. इस सर दर्द की वजह राजस्थान में सियासी उठापटक है. दरअसल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के सबसे बड़े दावेदार हैं. मगर, कांग्रेस पार्टी एक व्यक्ति, एक पद के कॉन्सेप्ट को फॉलो कर रही है. इसके चलते अशोक गहलोत अगर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं, तो उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. इसी को लेकर घमासान मचा हुआ है. 

बैठक में शामिल नहीं हुए गहलोत गुट के विधायक

अशोक गहलोत के अध्यक्ष पद को लेकर नामांकन के बीच सचिन पायलट को राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के रूप में देखा जा रहा है. जो, गहलोत गुट को पसंद नहीं है. गहलोत गुट में 102 विधायक हैं. जिनकी मांग है कि नया मुख्यमंत्री उनके बीच का हो. 

इस सियासी घमासान को रोकने के लिए पार्टी के पर्यवेक्षक के तौर पर अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे राजस्थान पहुंचे और विधायक दल की बैठक बुलाई. वे सभी विधायकों से एक एक कर बात कर उनकी राय जानना चाहते थे. मगर, गहलोत गुट के विधायक बैठक में नहीं शामिल हुए. इसके उलट उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को जाकर 70 विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया. 

गहलोत गुट का शर्त

गहलोत गुट ने शर्त रखा कि नया मुख्यमंत्री उन्हीं के बीच से चुना जाए. इसके साथ ही उनका ये भी कहना है कि नए मुख्यमंत्री की घोषणा अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद हो. और उनके इन सारे शर्तों को एक रिजॉल्यूशन में शामिल किया जाए. इससे पर्यवेक्षक अजय माकन को ऐतराज है. उनका कहना है कि विधायकों का बैठक में ना आना अनुशासनहीनता है. कांग्रेस के इतिहास में आज तक सशर्त रिजॉल्यूशन पास नहीं हुआ है. 

सचिन पायलट का बयान

वहीं इन सारी उठापटक के बीच सचिन पायलट ने बयान दिया है कि अभी वे दिल्ली नही जा रहे हैं, वे जयपुर में ही हैं. आलाकमान के फैसले के बाद ही, वे अपना फैसला लेंगे.