रांची(RANCHI): झारखण्ड के गोड्डा में सूर्या हासदा के एनकाउंटर के बाद पुलिस पर सवाल खड़ा होने लगा है.आखिर हिरासत में लेने के बाद कैसे मुठभेड़ हुई और कैसे पूरी वारदात को अंजाम दिया गया.अब इस मामले में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसे मर्डर बताते हुए राज्य सरकार से जाँच की मांग की है.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आदिवासी नेता को अपराधी बनाना हो या निर्दोष को दोषी साबित करना हो, पैसे लेकर जमीन पर कब्जा कराना हो या माफियाओं को सरेआम आतंक करने की खुली छूट देना हो, अपने शक के आधार पर किसी की आवाज को दबाने के लिए इनकाउंटर करना हो या खास वर्ग को छूट देकर आदिवासियों की हत्या करना कराना हो...इन सारे कार्यों का जिम्मा झारखंड पुलिस में शामिल अपराधी क़िस्म के कुछ लोगों ने अपने कंधे पर ले लिया है.
कहा कि इस सरकार में जिस तरह अपराधियों को शरण और संरक्षण देने वाली खुद अपराधी प्रवृत्ति का काम कुछ पुलिस वाले कर रहे है, उससे आम जनमानस के अलावा सत्ता और विपक्ष में बैठे नेताओं और उनके सहयोगियों को भी हर दिन जान का खतरा लगा रहता है.
कहा कि संघर्ष करते-करते रास्ता भटक जाने वालों को भारत के क़ानून और न्याय व्यवस्था ने हमेशा मुख्यधारा से जुड़ने का अवसर दिया है. लेकिन आज, ऐसी ही एक आवाज़ को हमेशा के लिए ख़ामोश कर दिया गया.
कहा झारखंड का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि एक जनसरोकारी सूर्या हांसदा का एनकाउंटर नहीं, मर्डर किया गया है वो भी किसी अपराधी द्वारा नहीं बल्कि वर्दी में छिपे कुछ कायरों और बुजदिलों द्वारा, जिन्हें डर है कि आदिवासियों की आवाज उनके कान का पर्दा न हिला दे, जिन्हें डर है कि आदिवासी राज्य में आदिवासी अपने हक अधिकार और संसाधन के लिए लड़ना न शुरू कर दें.
कहा कि झूठे मामलों में फँसाना, फ़र्ज़ी केस दर्ज कर उत्पीड़न करना और लगातार दबाव बनाना, यही विरोध करने वालों से निपटने का रवैया हो गया है. कहा कि सूर्या हांसदा की पत्नी और मां लगातार पुलिस पर आरोप लगा रही हैं, कि कैसे जानबूझकर उनके पति का, बेटे का मर्डर किया गया है. उनकी बस एक ही तो मांग है कि इस कृत्य की सीबीआई से जांच कराई जाए.
कहा कि मुख्यमंत्री को अगर सीबीआई से आपको और आपके अफ़सरों को ज़्यादा ही डर लगता है तो इसकी हाईकोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में इसकी जॉंच कराइये, सच सबके सामने लाइए, क्योंकि पुलिस का यह कृत्य किसी को भी पच नहीं रहा है.
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