रांची(RANCHI): राज्य में भाषा विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. बोकारो और धनबाद से शुरू हुआ ये आंदोलन रांची तक पहुंच चुका है. जहां झारखंड के आदिवासी संगठनों ने मगही, भोजपुरी और अंगिका भाषा हटाने कि मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, वहीं अब इन भाषाओं के समर्थन में भी लोग उतर आए हैं. इसी कड़ी में भोजपुरी, मगही, मैथिली,अंगिका मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने झारखंड में जान बुझ कर भाषा का उन्माद फैलाया जा रहा है. शिक्षा मंत्री ने भोजपुरी, मगही और अंगिका के लिए अमर्यादित टिप्पणी किया, जिससे लोगों कि भावनाओं को ठेस लगा. मुख्यमंत्री को चाहिए कि ऐसे मंत्रियों पर लगाम लगाए. बार-बार लोगों को भड़काया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि जो नियम बना है उसका पालन होना चाहिए.
1932 का खतियान अंग्रेजों के दौर का
1932 के खतियान कि मांग पर कैलाश यादव ने कहा कि 1932 के खतियान कि मांग सरासर गलत है. लोग अंग्रेजों के दौर का नियम लागू करवाना चाहते हैं. ऐसा नहीं होगा. उनहोंने कहा कि सरकार को विकास मॉडल पर काम करना चाहिए. बेहतर स्कूल बनवाना चाहिए, स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन सरकार के मंत्री भाषा को लेकर बयान बाजी कर रहे हैं. बता दें कि मगही, भोजपुरी और अंगिका के विरोध में लगातार आंदोलन हो रहा है. बोकारो में आंदोलन इतना उग्र हो गया था कि पूर्व सांसद को अपनी जान बचा कर भागना पड़ा था.
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