गुमला (GUMLA) - गुमला जिला के विभिन्न इलाकों में हाथियों की सक्रियता से ग्रामीणों को जान माल का नुकसान होता रहा है. लेकिन कुछ समय ही पहले गांव में दाखिल हुए एक हाथी की करेंट लगने से मौत मामले के बाद से अब हाथियों की जान पर आफत आती दिखाई दे रहा है. इसको लेकर वन विभाग गंभीरता से कार्रवाई की योजना बना रही है. वहीं लगातार विकास के कारण कई क्षेत्रों में हाथियों का आश्रय क्षेत्र प्रभावित होने के कारण हाथी जंगल छोड़ गांव की ओर आ रहे हैं. जिससे कल तक ग्रामीणों को उनके घर औऱ फसल का नुक्सान नुकसान होता था. लेकिन अब ग्रामीण अपनी जान माल की सुरक्षा के लिए जो तरीका अपना रहे है, उससे जंगली जानवरों के जान पर आफत आन पड़ी है. जंगली हाथियों से अनाज की सुरक्षा के लिए इन दिनों ग्रामीण अपनी-अपनी खेतों का घेराव करेंट के तार से करने लगे है. ऐसे में जैसे ही कोई हाथी उनके खेत के पास जाता है, उसकी करेंट की चपट में आने से मौत हो जाती है. बता दें कि बीते दो सालों में इसी कारण दो हाथी की मौत हो चुकी है. जो वन विभाग के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.

दुर्भाग्य का विषय

एक घटना गुमला से सटे बेड़ो के इलाके में हुई थी. वहीं दूसरी घटना तीन दिन पहले गुमला जिला के भरनो में हुई है. इस तरह की घटना को लेकर जिला के डीएफओ श्रीकांत वर्मा काफी गंभीर नजर आ रहे है. उन्होंने कार्रवाई करते हुए आरोपी खेत मालिक को जेल भेज दिया है. वहीं ग्रामीणों द्वारा अपनी खेत की सुरक्षा को लेकर तार से घेरा कर उसमें बिजली लगाने से हुई हाथी की मौत पर स्थानीय लोगों ने भी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने लोगों से इस तरह से ना करने की अपील की है. वहीं डीएफओ ने खेत में चारों तरफ से बिजली का करंट देने को एक बड़ा अपराध बताते हुए लोगों से ऐसा ना करने की अपील की है. वहीं उन्होंने कहा कि लोगों को यह सोचना चाहिए कि जंगली जानवर से हुए नुकसान को लेकर उन्हें तो सरकार मुआवजा देती ही है. लेकिन जगंली जनवरों के जान की कीमत कोई मुआवजा नहीं भर सकता और लोगों को इसकी चिंता ना होना बहुत दुर्भाग्य का विषय है. इसलिए ग्रामीणों को जंगली जानवरों को कोई नुकसान ना पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए. जिस तरह से अपने आश्रय क्षेत्र का एरिया कम होने से पहले से ही जंगली जानवरों की संख्या घट रही है वही अगर जंगल से सटे इलाके में खेत की सुरक्षा को लेकर बिजली के करंट का उपयोग किया जाएगा तो जंगली जानवर पूरी तरह समाप्त हो जाएंगे.

रिपोर्ट : सुशील कुमार सिंह, गुमला