जमशेदपुर (JAMSHEDPUR) – वैसे तो अब मोबाईल फोन ने सभी उपकरणों की जगह ले ली है. जिससे आम जिंदगी में भी काफी बदलाव आया है. मोबाईल में ही टीवी, रेडियो, सब options मौजूद है. लेकिन रेडियो तो रेडियो ही है. आज भी रेडियो के प्रशंसकों की कोई कमी नहीं है. इस High-tech generation में भी कुछ लोग ऐसे है जो रेडियो सेट के माध्यम से ही गाने सुनना पसंद करते हैं. ऐसे में जमशेदपुर के रहने वाले चिन्मय महतो रोज़ाना 25 देशों के रेडियो प्रसारण को सुनते हैं. उनके पास पुराने ज़माने से लेकर आज के ज़माने के रेडियो का अमूल्य संग्रह है. उन्होंने एक रेडियो श्रोता क्लब भी बनाया है. जिसके सदस्य भारत से लेकर विदेशों तक हैं.
रेडियो सुनने से मिलता हैं सुकून
आजकल कई तरह के डे मनाए जाते हैं. उसी कड़ी में 13 फरवरी को वर्ल्ड रेडियो डे मनाया जाता है. चिन्मय महतो कहते हैं कि भले ही तकनीक ने रेडियो का स्वरूप बदला और अब मनोरंजन, ज्ञान या संगीत वगैरह के लिए रेडियो पर निर्भरता नहीं रही लेकिन जो सुकून रेडियो से मिलता है वह कहीं नहीं. यही करण हैं कि अब भी उन्हें रेडियो से ही गाने सुन कर सुकून मिलता हैं.
गाईड इंटरनैशनल रेडियो लिसनर क्लब
बता दें कि साल 1974 में चिन्मय ने गाईड इंटरनैशनल रेडियो लिसनर क्लब की स्थापना की थी. हर साल वर्ल्ड रेडियो डे पर क्लब की ओर से रेडियो की प्रदर्शनी लगाई जाती है. चिन्मय महतो को रेडियो श्रोता के तौर पर कई अवार्ड मिल चुके हैं. साल 2015 में रेडियो जापान ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ श्रोता का खिताब दिया. चीन, जापान समेत कई देशों के रेडियो की तरफ से चिन्मय को सम्मान मिलता रहा है. वे जापान से लेकर रोमानिया के रेडियो स्टेशनों तक पत्र से बतौर श्रोता फरमाईश भेजते रहते हैं. इसके साथ ही दस देशों के रेडियो में उनके इंटरव्यू प्रसारित हो चुके हैं. चिन्यम ने रेडियो म्यूज़ियम बना लिया है. जिसमें 1965 से लेकर 2011 तक के दौर के रेडियो हैं.
रिपोर्ट : अन्नी अमृता, जमशेदपुर
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