धनबाद(DHANBAD) : बोकारो स्टील लिमिटेड ने अपनी परिसंपत्ति बचाने के लिए एक और क्रांतिकारी फैसला लिया है. बोकारो स्टील लिमिटेड के पास अनगिनत आवास हैं, जो दूसरे के कब्जे में है या फिर यूं ही बेकार पड़े है. अथवा अवकाश ग्रहण वाले कर्मचारी रह रहे है. सूत्रों के अनुसार बोकारो स्टील लिमिटेड अब नई आवास लाइसेंस योजना लेकर आ रही है. इसमें वैसे पूर्व कर्मचारी भी आवेदन कर सकते हैं, जो इन आवास में रह रहे है और अब वह आवास को लाइसेंस पर लेने के इच्छुक है. वैसे, कर्मचारी भी इस योजना का लाभ उठा सकेंगे, जो जून 2025 तक अवकाश ग्रहण करने वाले होंगे और फिलहाल आवास में रह रहे है. इसके लिए ऑनलाइन आवेदन मांगा गया है. आवेदन जमा करने की तिथि 8 मार्च से लेकर 25 मार्च तक निर्धारित की गई है.

27 गैर आवासीय भवनों को निजी हाथों  में देने का पहले हुआ है फैसला 
 
बता दे कि कंपनी ने रोजगार से लोगों को जोड़ने के साथ-साथ अपनी संपत्ति को बचाने का पहले भी निर्णय लिया था. 27 गैर आवासीय भवनों को निजी हाथों में किराए पर देने का निर्णय लिया गया था. इन भवनों में कहीं पहले स्कूल तो कहीं स्वास्थ्य केंद्र तो कहीं मार्केट चलते थे. लेकिन एक दशक से भवन बेकार थे. इन भवनों  को 33 महीने के रेंट एग्रीमेंट पर देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. नियम था कि तीन बार इसका नवीकरण कराया जा सकता है. इन भवनों में पहले 21 में स्कूल चलते थे. तीन में बाजार और तीन में स्वास्थ्य केंद्र चलते थे. लेकिन अब कई सालों से यह सब बंद थे. अधिकतर भवन खंडहर बन गए थे. चोरों ने खिड़की, दरवाजे, ग्रिल गायब कर दिए थे. सूत्रों के अनुसार पैतृक संस्थान सेल से इन भवनों को किराए पर देने की अनुमति दे दी थी. 

बोकारो स्टील लिमिटेड ने मूल्यांकन के बाद तय किया किराया 
  
इस योजना के लागू करने से पहले बोकारो स्टील लिमिटेड ने सभी भवनों और उनके परिसर का मूल्यांकन करवाया और उसके आधार पर किराया निर्धारित किया गया था. बता दे कि सिर्फ बोकारो स्टील लिमिटेड में ही आवास पर अवैध कब्जा नहीं है, बल्कि अन्य लोक क्षेत्रीय प्रतिष्ठानों का भी का भी कमोबेश यही हाल है. कोल इंडिया की बात अगर की जाए तो उसकी सभी अनुषंगी इकाइयों में भारी संख्या के आवास पर अवैध कब्जा है. लाइसेंस पर आवास देने की योजना अगर कोल इंडिया में भी शुरू हुई तो कंपनी को अपनी परिसंपत्तियों को बचाने में काफी मदद मिल सकती है. हो सकता है कि बोकारो स्टील लिमिटेड को देखते हुए कोल इंडिया मैनेजमेंट भी कोई फैसला ले. वैसे, बता दें कि सिंदरी खाद कारखाना जब बंद हुआ तो उस समय भी 11 महीने के रेंट एग्रीमेंट पर आवास देने की योजना शुरू हुई थी. सिंदरी में आज भी इस योजना के तहत पूर्व कर्मचारी आवास में रह रहे है. सिंदरी खाद कारखाने के पास भी बड़ी संख्या में आवास और परिसंपत्तिया थी.  

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो