धनबाद(DHANBAD): सरकार मंईयां  सम्मान योजना की राशि ट्रांसफर करने के लिए एक तिथि क्यों नहीं तय कर देती.  अगर सरकार ऐसा कर देगी तो लाभुकों को टकटकी नहीं लगानी पड़ेगी. यह कहना है राशि पाने वाली लाभुकों का.  सरकार को नए आवेदकों के संबंध में भी फैसला ले लेना चाहिए, जिससे  परेशानी नहीं हो. जैसे-जैसे लाभुकों के खाते में  सम्मान योजना की राशि पहुंचने लगी , राशि पाने वालों की संख्या भी बढ़ती गई.  फिलहाल नया आवेदन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है.  लेकिन उन्हें यह  कोई नहीं बता रहा कि  उनके आवेदन पर आगे क्या होगा? कब उन्हें राशि मिलेगी? फिलहाल अप्रैल महीने की राशि लाभुकों के खाते में ट्रांसफर नहीं हुई है.  जनवरी-फरवरी और मार्च महीने की राशि तो एक साथ ट्रांसफर हुई थी. 

 उम्मीद है कि इसी सप्ताह अप्रैल महीने की राशि ट्रांसफर हो जाएगी.  दूसरी ओर नए आवेदन करने वालों की संख्या भी बढ़ रही है.  नए लोग आवेदन तो कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह  नहीं कोई बता रहा कि  उन्हें राशि कब मिलेगी और कैसे मिलेगी? मतलब साफ है की पहली बार आवेदन करने वाली महिलाओं को फिलहाल इंतजार करना होगा.  अभी तक जो सूचना मिल रही है उसके अनुसार सरकार जब तक नए आवेदन पर कोई फैसला नहीं लेती, तब तक नए  लाभुकों को सहायता राशि नहीं मिलेगी.  6 फरवरी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 56 लाख 61,000  महिलाओं को राशि ट्रांसफर की थी.  फिर तो अयोग्य  लाभुकों को राशि लेने की बात सामने आई.  उसके बाद  लाभुकों की जांच शुरू हुई.  बहुत सारे अकाउंट होल्ड पर चले गए. 

 नतीजा हुआ कि 38 लाख को जनवरी-फरवरी और मार्च महीने की एक मुश्त  राशि मिली.  संख्या कम होने के संबंध में बताया गया कि बहुत सारे अयोग्य  लाभुक  पैसा उठा रहे हैं, इसकी जांच चल रही है.  कहा तो यह भी  जा रहा है कि जांच के बाद 5 लाख लाभुकों को 3 महीने की राशि दी गई है.  मतलब 38 + 5 यानी  43 लाख से अधिक लाभुकों को 3 माह की राशि दी जा चुकी है.  सवाल उठता है कि क्या 56.61 लाख के बजाय अब 43 लाख लाभुकों  को ही राशि मिलेगी? कहा जा रहा है कि कई लाभुक अयोग्य थे.  लाभुकों  का अकाउंट आधार सीडिंग  नहीं थे.  आधार से लिंक नहीं होने की वजह से लाभुकों  को राशि नहीं मिल पा रही है.  अब विशेष शिविर  लगाकर आधार सीडिंग का काम शुरू है.  जिन लोगों को राशि मिल रही है, उनका कहना है कि सरकार अगर एक तिथि तय कर दे, जिस तिथि को उनके बैंक अकाउंट में पैसा आ जाए, तो उनको कई तरह की सहूलियत  हो सकती है, अन्यथा उन्हें टकटकी लगानी पड़ती है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो