धनबाद (DHANBAD) : विधायक कल्पना सोरेन को बिहार चुनाव में भी स्टार प्रचारक बनने का ऑफर मिल सकता है. यह ऑफर झामुमो की ओर से तो रहेगा ही, बिहार के महागठबंधन के नेताओं को भी इससे कोई परहेज नहीं होगा.बल्कि उनकी ईच्छा रहेगी.धनबाद में झामुमो के एक सूत्र के अनुसार बिहार में सीटों को लेकर राजद और झामुमो के बीच खिंची तलवार अब म्यान में जाने लगी है. तरीके लगभग खोज लिए गए हैं .

यह बातें तय है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को बिहार में आधा दर्जन से अधिक सीट नहीं मिलेगी. बहुत हुआ तो 7 सीट मिल सकती है. झामुमो  फिलहाल बिहार की 12 सीटों पर अपना दावा ठोके हुए हैं. धनबाद के सूत्र पर भरोसा करें तो जिस तरह 2024 के विधानसभा चुनाव में राजद को झामुमो ने अपने कोटे से 7 सीट दी थी, उसी तर्ज पर बिहार में भी राजद अपने कोटे में से सीट झामुमो को दे सकता है. इसको लेकर तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन में बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया है. वैसे भी, बिहार का चुनाव इस बार कुछ अलग होने जा रहा है. सभी दलों ने अपने-अपने ढंग से पूरी तैयारी शुरू कर दी  है. बड़े नेताओं का दौरा जारी है.

2025 के विधानसभा का चुनाव जहां नीतीश कुमार के भाग्य का फैसला करेगा, वही तेजस्वी यादव को भी यह साबित करना है कि भविष्य उनका है. तीसरी बात प्रशांत किशोर को भी या तो राजनीति में रहने की 2025 विधानसभा चुनाव अनुमति देगा या फिर वह अपने पुराने काम में लौट जाएंगे .इस बीच जिस तरह से सीटों के बंटवारे को लेकर झामुमो की ओर से दावे किए जा रहे हैं ,उसको लेकर राजद अब गंभीर हुआ है. पहले के चार कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में राजद को न्योता नहीं दिया गया था. इससे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नाराजगी थी. नाराजगी भी स्वाभाविक है. झारखंड के गठबंधन में राजद शामिल है. उनके मंत्रिमंडल में राजद का प्रतिनिधित्व है. बावजूद कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में ना बुलाना ,झामुमो की इच्छा को नहीं जानना, किसी को भी बुरा लग सकता है .

इधर, बिहार की राजनीति को जानने वाले बताते हैं कि अंदर खाने यह बाद तय हो गई है कि राजद, कांग्रेस और वाम दलों को कितनी सीट दी जाएगी. लेकिन इस बीच पशुपति पारस की पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा को लेकर जो संशय बना है, उसमें समाधान का यही रास्ता बनाया जा रहा है कि राजद अपने कोटे से झामुमो और पशुपति पारस की पार्टी को सीट दे . झामुमो तो पहले से ही गठबंधन में शामिल है, लेकिन पशुपति पारस की पार्टी अभी हाल ही में महागठबंधन में शामिल होने की घोषणा की है. इतना तो तय है कि चुनाव बिहार में हो रहा है, लेकिन इसकी चर्चा,सक्रियता झारखंड में कम नहीं है.

हेमंत सोरेन की मं ई यां सम्मान योजना की तर्ज पर तेजस्वी यादव ने भी माई बहिन योजना शुरू करने की घोषणा की है. कहा है कि उनकी सरकार अगर बनी तो बिहार में भी माई बहिन  को ₹2500 आर्थिक मदद की जाएगी. झारखंड  इस योजना को बड़ी सफलता मिली और महागठबंधन की सरकार रिपीट की. हो सकता है कि इस योजना के प्रचार प्रसार के लिए कल्पना सोरेन को महागठबंधन में शामिल सभी दल स्टार प्रचारक बनाने की मांग करें. वैसे भी कल्पना सोरेन स्पष्ट वक्ता है. उनका पब्लिक कनेक्ट बहुत बेहतर है. लोगों से संवाद करने में वह माहिर है. झारखंड के विधानसभा चुनाव में इसके एक नहीं सैकड़ो उदाहरण देखने को मिले. महिलाएं उनको सुनने के लिए प्रतीक्षा करती थी. विपरीत परिस्थितियों में भी जिस तरह झारखंड में झामुमो की वह ताकत बनी, इसका उदाहरण सबके सामने है .ऐसे में कल्पना सोरेन को बिहार में भी स्टार प्रचारक के रूप में न्योता मिले तो कोई अचरज की बात नहीं है.

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो