साहिबगंज(SAHIBGANJ): सोना झारखंड, प्यारा झारखंड, अबुआ झारखंड जितना सुंदर नाम है उतना ही सुंदर हमारे राज्य की तस्वीर है. लेकिन शायद उतनी ही सुंदर इस राज्य में रहने वाले मूलवासियों की तकदीर भी होती तो हम समझते कि यह राज्य अबुआ राज्य है. इस प्रदेश के उदय के बाद से आज तक पहाड़ों पर रहने वाले आदिम जनजाति का अपेक्षाकृत विकास नहीं हो पाया है.

जंगल-पहाड़ और नदी को संरक्षण देने के नाम पर बनी हेमंत सोरेन की सरकार से आदिम जनजाति को काफी अपेक्षा थी. लेकिन पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी पहाड़ियां जनजाति के घरों तक स्वच्छ पेयजल नहीं पहुंच पाया है. लेकिन इन के पहाड़ों, हरे-भरे जंगलों और नदियों को उजाड़ कर राज्य सरकार ने करोड़ों का राजस्व वसूल जरूर लिया है. विलुप्त प्राय आदिम जनजातियों के गांव का दौरा करने से ज्ञात होता है कि इनकी उपजाऊ भूमि पर पत्थर-खदान का कचरा व क्रेशरो से उड़ते जहरीले धूलकणों ने ले ली है. कहीं-कहीं पहाड़ों को समत्तल कर दिया गया है तो कई पहाड़ विलुप्तप्राय है.

वहीं देश में मेक इन इंडिया, बुलेट ट्रेन, स्मार्ट ऑफ इंडिया व स्मार्ट सिटी सहित अन्य विषयों पर केंद्र व राज्य सरकार ध्यान देने की बात तो करती है. लेकिन इस इस राज्य की शायद तकदीर की खराब है, इसलिए इसकी तस्वीर अब तक नहीं बदल पाई है. आजादी के 78 वर्ष बीत जाने के बाद भी पहाड़ पर बसे इस गांव के आदिम जनजाति के लोगों को आज भी पानी और सड़क का लाभ नहीं मिल सका है.

वहीं, तालझारी प्रखंड क्षेत्र के बाकुडी पंचायत के हल्दीगढ़ पहाड़ में बसने वाले 150 आबादी यानी की लगभग 40 घरों के परिवार प्रत्येक दिन अपने घर से करीब 2 किलोमीटर दूर पथरीले सड़क पर चलकर पानी लाने के लिए जाते हैं. लेकिन इसके बावजूद भी झरना कुप में पानी नसीब नहीं होती है. हल्दीगढ़ गांव के ग्रामप्रधान सहित दर्जनों ग्रामीण का कहना है कि जब से झारखंड राज्य अलग हुआ है तब से हमलोग जल संकट की समस्या झेल रहे हैं. क्या करेंगे साहब हमलोग पानी बिना मर रहे हैं. झरनाकुप का कीड़ा वाला गंदा पानी पीकर हमलोग कई बार बीमार भी पड़ते हैं. यहां तक कि हमलोग के छोटे-छोटे बच्चे हमेशा बीमार रहते हैं तो कई बच्चे इलाज के आभाव में मर भी जाते हैं. लेकिन हमलोग किसे बोले कौन सुनेगा हमारी बात. न स्थानीय मुखिया सुनता है और न ही बीडीओ. न ही विधायक सुनता है और न ही सांसद. यहां तक कि पंचायत भवन में लगे जनता दरबार में भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हमलोगों ने आवेदन दिया था लेकिन कोई सुनवाई हो तब न. हमलोग अब अपनी ही जिंदगी से तंग आ गए हैं. अब हमलोगों को लगता है की बिना पानी के ही मरना पड़ेगा.

ग्रामीणों को अब तक नहीं मिली सड़क की सुविधा 

वहीं, गांव के ग्राम प्रधान सहित दर्जनों ग्रामीणों का कहना है कि बिहार से झारखंड को अलग हुए लगभग 25 साल हो गए हैं. लेकिन आज तक हमारे गांव में सड़क बना ही नहीं. ऐसे में हमलोग अगर बीमार हो जाते हैं तो मरीज को खाट पर टांगकर ले जाना पड़ता है. गांव में पक्की क्या कच्ची सड़क भी नहीं होने से एंबुलेंस या कोई अन्य वाहन भी गांव में नहीं आ पाते हैं. जिसकी वजह से बीमार मरीजों को इलाज के लिए खाट पर टांगकर 7 किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग तक ले जाना पड़ता है. फिर वहां से किसी वाहन से मरीज को अस्पताल ले जाते हैं.

ऐसी स्थिति में कई बार बीमार व्यक्ति की स्थिति गंभीर हो जाती है. कुछ दिन पूर्व ही इलाज के लिए ले जाने के क्रम में ही एक मासूम बच्ची की मौत हो गयी थी. सड़क नहीं रहने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी बीमार, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को होती है. गर्भवती माताओं को भी अस्पताल तक ले जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. टीकाकरण के लिए सभी जगह एचएनएम व स्वास्थ्य कर्मी आते हैं. लेकिन इस गांव में कभी-कभार ही कोई स्वास्थ्य कर्मी जांच के लिए आता है. पूरे गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर सरकार सिर्फ प्रचार-प्रसार कर रही है. यहां के लोगों को किसी तरह का लाभ न के बराबर ही मिलता है.

ग्रामीणों ने शासन प्रशासन पर लगाए कई गंभीर आरोप

हल्दीगढ़ पहाड़ के ग्राम प्रधान व दर्जनों ग्रामीणों ने शासन प्रशासन पर बड़ा आरोप गढ़ते हुए कहा कि हमलोग स्थानीय मुखिया, विधायक व सांसद और सरकारी बाबुओं को कई बार आवेदन दे चुके हैं. लेकिन हुआ कुछ भी नहीं.  चुनाव के समय सभी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता गांव आकर बहुत सारे वादे करके जाते हैं. लेकिन चुनाव के बाद कोई नहीं आता है.ग्रामीणों ने बताया कि बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य व शिक्षा को लेकर पिछले वर्ष बोरियो विधानसभा क्षेत्र के विधायक व राजमहल लोकसभा सांसद विजय हांसदा व सरकार आपके द्वार में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक को लिखित आवेदन सौंपने के साथ-साथ मौखिक रूप से भी अवगत कराया गया था. फिर भी आज तक कुछ नहीं हुआ.

उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार जनप्रतिनिधियों को जवाब देना होगा कि आखिर वे वादा कर भूल कैसे जाते हैं. पूर्व में भी कई गांव की समस्याओं को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर संबंधित विभाग को कई बार मौखिक व लिखित रूप से अवगत करा चुका हूं, लेकि न कोई लाभ नहीं हुआ है.

क्या कहते है उपायुक्त हेमंत सत्ती

साहिबगंज जिले के पहाड़ी क्षेत्र में बढ़ती जल संकट की समस्याओं को देखते हुए उपायुक्त ने कहा कि इस मुद्दे पर जिला प्रशासन बेहद गंभीर है. हमलोग वैसे सभी गांवों को चिन्हित कर रहे हैं जहां-जहां पानी की घोर किल्लत है और सड़क की समस्या है. इसके बाद जिला प्रशासन उनका समाधान करने का काम करेगी. साथ ही बात रही हल्दीगढ़ पहाड़ की तो वहां भी जिला प्रशासन द्वारा जो भी सुविधा प्रखंड व जिला स्तर से होगी अविलंब ग्रामीणों को उपलब्ध कराया जाएगा.

रिपोर्ट: गोविंद ठाकुर