धनबाद (DHANBAD) : अंग्रेज तो देश छोड़कर चले गए, लेकिन उनका "भूत" आज भी झारखंड में घूम रहा है. यह बात सुनने में अटपटा जरूर लग रही होगी, लेकिन है बिल्कुल सच. धनबाद नगर निगम को अब अंग्रेजों के जमाने में हस्तांतरित हुई जमीन के कागजात की जरूरत पड़ गई है. यह जमीन 1925 से 1928 के बीच तत्कालीन धनबाद नगर पालिका को हस्तांतरित की गई थी. नगर पालिका अब नगर निगम बन गई है. लेकिन निगम के पास तत्कालीन नगर पालिका को हस्तांतरित हुई जमीन के कागजात मिले थे अथवा नहीं, पता लगाया जा रहा है. इस बीच धनबाद नगर निगम ने बिहार सरकार से मदद की गुहार की है. कहा तो यही जा रहा है कि 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर जब झारखंड बना था. 

बिहार से जमीन के कागजात नहीं मिले थे झारखंड को 
 
उस समय सरकारी जमीनों के मूल कागजात झारखंड को नहीं मिल पाए थे. अब धनबाद नगर निगम ने इसकी पहल शुरू की है. धनबाद नगर निगम ने बिहार के भू अर्जन विभाग को पत्र लिखा है. लिखे पत्र में कहा है कि तत्कालीन धनबाद नगर पालिका के अधीन ट्रेंचिंग ग्राउंड, डंपिंग ग्राउंड तथा रिफ्यूजी मार्केट के लिए भू अर्जन किया गया था. कालांतर में धनबाद नगर पालिका नगर निगम में बदल गई और उसके क्षेत्र में ट्रेंचिंग ग्राउंड, डंपिंग ग्राउंड और रिफ्यूजी मार्केट का स्वामित्व मिल गया. वर्तमान में जब कोई योजना बनाई जा रही है तो इसमें विवाद पैदा हो जा रहा है. 

बिहार सरकार को भेजे पत्र में क्या लिखा है नगर आयुक्त ने 
 
बिहार सरकार को भेजे गए पत्र में नगर आयुक्त ने लिखा है कि हीरापुर मौज अंतर्गत ट्रेंचिंग ग्राउंड की 5.27 एकड़ जमीन अर्जित की गई थी. 22 अप्रैल 1925 की अधिसूचना के आधार पर तत्कालीन मानभूम  जिला की  नगर पालिका के लिए यह जमीन भू अर्जित की गई थी. वहीं 16 अगस्त 1928 को निकली अधिसूचना के अनुसार हीरापुर मौजा के ट्रेंचिंग ग्राउंड में 4.87 एकड़ जमीन भू अर्जित की गई थी. फिलहाल नगर निगम की जमीन पर लगातार कब्जे की शिकायत नगर आयुक्त के पास पहुंच रही है. इसके लिए नगर निगम को कागजात की जरूरत है. निगम अब बिहार सरकार से इसकी मूल प्रति की मांग की है. बता दे कि 2006 में धनबाद नगर पालिका क्षेत्र को मिलाकर नगर निगम का गठन किया गया था. लेकिन अब विवाद बढ़ गया है तो निगम मूल दस्तावेज की मांग कर रहा है.

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो