धनबाद (DHANBAD) : घाटशिला उपचुनाव में भाजपा और झामुमो ने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. जेएलकेएम से प्रत्याशी घोषणा का इंतजार है. लेकिन इस उप चुनाव में असली लड़ाई मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बीच होगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसके संकेत बुधवार को दे दिए. कहा कि घाटशिला उपचुनाव महत्वपूर्ण है और बड़े अंतर से जीत दर्ज करना जरूरी है. उन्होंने यह भी कहा कि यह सीट हमारे प्रिय नेता और झारखंड आंदोलनकारी स्वर्गीय रामदास सोरेन की है. इसलिए भी यह सीट बड़े अंतर से जितनी है.
चंपाई सोरेन ने अपनी पहली लड़ाई जीत ली है
इधर, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपनी पहली लड़ाई जीत ली है. तमाम खींचतान के बीच वह अपने पुत्र बाबूलाल सोरेन को घाटशिला उपचुनाव में एनडीए का प्रत्याशी बनवाने में सफल रहे है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्वर्गीय रामदास सोरेन के पुत्र को टिकट दिया ही. यह बात भी सच है कि घाटशिला उपचुनाव में महागठबंधन के "गांठ" की भी परीक्षा होगी. क्योंकि कांग्रेस नेता प्रदीप बलमुचू अपनी अलग राह पकड़े हुए है. यह अलग बात है की कांग्रेस आलाकमान ने यह निर्देश दे दिया है कि कांग्रेस के सभी नेता महागठबंधन के उम्मीदवार के साथ रहेंगे. लेकिन प्रदीप बालमुचू क्या करेंगे, इस पर सबकी नजर है. बता दे कि कोल्हान में भाजपा को अभी भी अपना पैर जमाना एक बड़ी चुनौती है.
पिछले चुनाव में कोल्हान में भाजपा को हुआ था बड़ा नुकसान
2024 में भाजपा का कोल्हान में सुपड़ा साफ हो गया था. भाजपा ने जो सोचकर चंपाई सोरेन को पार्टी में शामिल करवाया था, वह सफल नहीं हुआ था. उनके साथ झामुमो के कोई नेता नहीं गए, उसे समय चंपाई सोरेन और लोबिन हेंब्रम भाजपा में शामिल हुए थे. लोबिन हेंब्रम चुनाव हार गए. कोल्हान में आदिवासी आरक्षित सीटों में से सिर्फ चंपाई सोरेन ही जीत पाए थे. 2024 में सरकार बनने के बाद यह पहला उपचुनाव होने जा रहा है और इसके परिणाम कई मामलों में महत्वपूर्ण होंगे. यह चुनाव झामुमो और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है. इधर जयराम महतो की पार्टी ने भी घोषणा कर दी है कि वह चुनाव में हिस्सा लेगी और अपना उम्मीदवार देगी. यह एनडीए के लिए भी थोड़ा मुश्किल हो सकता है.
2024 के विधानसभा चुनाव में भी हुई थी मजबूत लड़ाई
2024 के विधानसभा चुनाव में भी जेएलकेएम ने उम्मीदवारी दी थी. जेएलकेएम ने रामदास मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया था, जिन्हें 8 092 वोट मिले थे. भाजपा उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन को 75,910 मत प्राप्त हुए थे. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के रामदास सोरेन को 98,356 मत प्राप्त हुए थे. वैसे तो जेएलकेएम कोई बड़ा कमाल नहीं कर पाया था लेकिन उपचुनाव में एनडीए के लोग चाह रहे थे कि जेएलकेएम या तो भाजपा को सपोर्ट कर दे अथवा चुनाव से दूरी बना ले. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जेएलकेएम ने घोषणा कर दी है कि वह घाटशिला उपचुनाव में अपना उम्मीदवार देगा. ऐसे में परिणाम क्या होता है, यह देखने वाली बात होगी.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
 
                             
                        .jpg) 
                         
                        
 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                
Recent Comments