धनबाद (DHANBAD) : धनबाद नगर निगम फिलहाल फुल स्विंग में काम कर रहा है. लेकिन इसका इतिहास भी कम दिलचस्प नहीं है. बिहार में यह इलाका नगरपालिका और अधिसूचित क्षेत्र में था. झारखंड हुआ तो निगम बना. नगर निगम बनने की कहानी तो दिलचस्प है ही, उसके पहले की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. नगर निगम के पहले धनबाद में नगर पालिका थी, यह नगर पालिका धनबाद शहर में काम करती थी. इसका कार्यालय बैंक मोड़ में था, जहां फिलहाल मॉल बन गया है और निगम का कार्यालय धनबाद के लुबी सर्कुलर रोड में शिफ्ट हो गया है. इसके अलावा निगम का कार्यालय भी बन रहा है, लेकिन उसके  कार्यालय की जमीन को लेकर फिलहाल विवाद पैदा हो गया है. 

1988 में नगर पालिका का चुनाव हुआ, उस समय नगर पालिका में कुल 30 वार्ड थे
 
1988 में नगर पालिका का चुनाव हुआ था. उस समय नगर पालिका में कुल 30 वार्ड थे. इतिहास के आईने में देखा जाए तो वार्ड नंबर 1 से महादेव दत्ता वार्ड पार्षद थे, वार्ड नंबर 2 से जगत महतो , वार्ड नंबर 3 से मुरलीधर साहू, वार्ड नंबर 4 से संजय कुमार सिन्हा, 5 से महादेव दत्ता, 6 से बुचन पांडे, 7 से देवेंद्र नाथ मंडल, 8 से रामाशंकर सिंह, 9 से सुंदर प्रसाद यादव, 10 से कृष्ण चंद्र मंडल,11 से संतलाल सिंह, 12 से विपिन कुमार अग्रवाल, 13 से हिमांशु पाठक, वार्ड नंबर 14 से मोहम्मद नजीर, वार्ड नंबर 15 से चंद्रिका सिंह, वार्ड नंबर 16 से अब्दुल हफीज, वार्ड नंबर 17 से योगेश व्यास, वार्ड नंबर 18 से जनार्दन प्रसाद सिंह, वार्ड नंबर 19 से पशुपतिनाथ सिंह, वार्ड नंबर 20 से अशोक कुमार साव , वार्ड नंबर 21 से लक्ष्मण यादव, वार्ड नंबर 22 से रामाधार यादव, वार्ड नंबर 23 से गोविंद राम अग्रवाल, वार्ड नंबर 24 से राजेंद्र प्रसाद साव, वार्ड नंबर 25 से रामजी भगत, वार्ड नंबर 26 से नरेश प्रसाद, वार्ड नंबर 27 से निर्मल कुमार मुखर्जी समेत अन्य थे. 

निर्मल मुखर्जी के रूप में एकमात्र पार्षद रिपीट हुए 
 
बताया जाता है कि 1988 में हुए नगर पालिका चुनाव का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद बिहार सरकार ने इसका एक्सटेंशन किया था. उसके बाद नगर पालिका केचुनाव हुए ही नहीं. सीधे 2010 में नगर निगम का चुनाव हुआ. 1988 के चुनाव के बाद पशुपतिनाथ सिंह विधायक और सांसद बन गए, जबकि 2010 के चुनाव में एकमात्र वार्ड पार्षद रिपीट किये, जिनका नाम निर्मल कुमार मुखर्जी है. निर्मल निर्मल मुखर्जी तीसरी बार वार्ड पार्षद का चुनाव जीते है. 1988 में जो वार्ड पार्षद चुनाव जीते, उनमें से कई दिवंगत हो गए है. धनबाद में एक  दिसंबर 2006 को निगम का गठन हुआ था.  10 लाख की आबादी पूरी होने के बाद कई इलाकों को मिलाकर निगम बनाया गया. लेकिन 2006 के गठन के बाद चुनाव हुआ. 
 
2010 में इंदु देवी पहली  मेयर चुनी गई,फिर सीट ओबीसी के लिए आरक्षित हो गई 
 
2010 में इस चुनाव में भी काफी गहमागहमी रही और इंदु देवी पहली मेयर चुनी गई. उसके बाद दिवंगत कांग्रेस नेता नीरज सिंह डिप्टी मेयर चुने गए. 5 साल तक कार्यकाल चला, उसके बाद 2015 में चुनाव हुआ. 2015 के चुनाव में भाजपा नेता शेखर अग्रवाल मेयर चुने गए, तो नीरज सिंह के भाई एकलव्य सिंह डिप्टी मेयर बने. इसका कार्यकाल खत्म होने के बाद निगम के चुनाव की प्रतीक्षा की जा रही है. फिलहाल निगम का कामकाज सरकार की देखरेख में है. धनबाद में शहर की सरकार नहीं है. झारखंड में निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मी तो है, लेकिन अभी तक तिथि की घोषणा नहीं हुई है. पिछली सरकार के कार्यकाल में ही निकाय चुनाव की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन चुनाव नहीं हुए. वर्तमान सरकार के कार्यकाल भी लगभग 5 महीने पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी भी चुनाव की प्रतीक्षा है. दूसरी ओर निगम का चुनाव लड़ने वाले भीतर ही भीतर तैयारी शुरू किए हुए है. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो