रांची(RANCHI): झारखंड विधानसभा में गांडेय विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन ने सवाल पूछा कि मंईयां सम्मान की राशि को लेकर तरह-तरह के भ्रम फैलाएं जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि झारखंड कर्ज के बोझ तले दब जाएगा. लेकिन झारखंड से अलग कई राज्य हैं जहां की आबादी झारखंड के बराबर या कम है. वहां तो कर्ज अधिक मिलता है लेकिन झारखंड को कितना मिला. इसके अलावा झारखंड का कितना पैसा केंद्र के पास या विभिन्न कंपनियों के पास बकाया है. विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन ने 2009 से 2014, 2014 से 2019 और 2019 से 2024 तक का जवाब मांगा. लेकिन आखिर में विधायक को 2019 से लेकर 2020 तक का ही जवाब दिया गया.

वहीं, जब कल्पना सोरेन ने पूछा कि लोन के रूप में राज्य सरकार इन वित्तीय वर्षों में कितना राशि प्राप्त कर चुकी है और आने वाले वित्तीय वर्ष में कितना ऋण लेने की तैयारी कर रही है. अगर ऋण प्राप्त करना चाहती है तो क्यों और नहीं करना चाहती तो इसकी वजह क्या है?

विधायक कल्पना सोरेन के इस सवाल पर मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने जवाब देते हुए बताया कि 2008-2009 से लेकर 2013-2014 तक 2,00,825 करोड़ वित्तीय वर्ष 2014 से 2018-2019 तक 42,956 करोड़ वित्तीय वर्ष 2019-2020 9,593 करोड़ ऋण लिया गया है.

मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि मंईयां सम्मान को लेकर विपक्षियों ने भ्रम फैलाया है. उन्होंने बताया कि सरकार कर्ज में चली जाएगी लेकिन सरकार का वित्तीय प्रबंधन इतना बेहतर है कि हम कोई भी योजना आराम से चला सकते हैं. अभी 20,000 करोड़ रूपए का लोन और लिया जा सकता है.

विधायक कल्पना सोरेन ने दूसरा सवाल पूछा कि भारत सरकार या उनके उपक्रम में झारखंड सरकार का कितना पैसा बकाया है और इसकी वसूली की आने वाले दिनों में क्या तैयारी है? इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि खान एवं वन पर्यावरण, ऊर्जा वाणिज्य कर विभाग भवन विभाग समेत अन्य विभाग का बकाया केंद्र के पास है. बकाये को लेकर राज्य की ताकत को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले से संरक्षित किया. केंद्र के पास 1,36,000 करोड़ से अधिक पैसा बकाया है.

रिपोर्ट: समीर हुसैन