धनबाद(DHANBAD):  विधायक बदले, सांसद बदले, सरकारें  बदली, लेकिन नहीं सुधरी तो झरिया की जलापूर्ति व्यवस्था, यह सिस्टम पर एक बड़ा सवाल है.  झरिया माइन्स बोर्ड और झरिया वाटर बोर्ड के बाद माडा  बना फिर झमाडा  बना, फिर भी नहीं सुधरी झरिया की पानी  समस्या.  झरिया से सूर्यदेव सिंह भी चार बार विधायक रहे, उनकी पत्नी भी विधायक रही, उनके बेटे भी विधायक रहे, उनके भाई की बहू भी विधायक रही , फिलहाल सूर्यदेव सिंह की बहू रागिनी सिंह झरिया से विधायक है.  इसके पहले सूर्यदेव बाबू के भाई (अब स्वर्गीय) बच्चा बाबू भी झरिया से विधायक रहे.  

झरिया से विधायकों की सूची बहुत लंबी है 

आबो  देवी भी झरिया से विधायक रही  और बिहार में मंत्री तक बनी.  फिर भी झरिया प्यासी की प्यासी ही रह गई.  बच्चा बाबू तो झारखंड बनने के बाद पहले नगर विकास मंत्री बने.  उस समय वह झरिया से ही विधायक थे.  फिर भी झरिया की पानी की समस्या नहीं खत्म हुई.  झरिया की वर्तमान विधायक रागिनी सिंह भी अपने चुनाव में झरिया की जलापूर्ति को जोर-शोर से उठाया था.  बावजूद झरिया की प्यास अभी भी नहीं  बुझी है.  झरिया की  जलापूर्ति को लेकर सभी नेता अब तक "पेपर टाइगर" की भूमिका में रहे.  किसी ने मूल समस्या पर ध्यान नहीं दिया. 

कभी दामोदर में पानी बढ़ जाता है तो कभी पानी कम जाता, तो कभी बिजली नहीं रहती 
 
कभी दामोदर में पानी बढ़ जाता है, तो झरिया की जलापूर्ति बाधित हो जाती है, कभी दामोदर में पानी कम जाता है, तो झरिया की पानी  समस्या बढ़ जाती है.  कभी बिजली नहीं रहती है, तो कभी पाइप फट जाती है.  झरिया अपनी आंचल में काले हीरे का वेश कीमती खजाना समेटकर रखे हुए हैं, लेकिन झरिया में रहने वाले लोग बूंद -बूंद पानी को तरसते है.  प्रदूषण तो एक अलग और बड़ी समस्या है.  जानकारी के अनुसार गुरुवार को बिजली नहीं रहने से झरिया और पुटकी क्षेत्र में पानी सप्लाई ठप रही.  लोग बताते हैं कि बुधवार की दोपहर से बिजली गुल थी, जो लगभग 9 घंटे के बाद वापस लौटी.  वापस लौटते ही झरिया जल मीनार में पानी सप्लाई के लिए जल भंडारण शुरू किया गया.  लेकिन पानी की सप्लाई शुरू नहीं की जा सकी शुक्रवार को पानी मिलेगा, अथवा नहीं यह कहना मुश्किल है. 

सवाल बड़ा है -क्या पानी के लिए क्या निर्वाध  बिजली की व्यवस्था  नहीं हो सकती

सवाल उठता है कि पानी के लिए क्या निर्वाध  बिजली की व्यवस्था  नहीं हो सकती है? जामाडोबा से  सिर्फ झरिया ही नहीं, बल्कि अन्य इलाकों में भी जलापूर्ति होती है.  कोलियरी  इलाका होने के कारण झरिया में पानी का सप्लाई के अलावे कोई विकल्प नहीं ही.  स्थिति ऐसी बन जाती है कि काम -धाम  छोड़कर सुबह- सवेरे से  पानी के  जुगाड़ में लग जाते है.  झरिया के विधायक तो कई हुए, सांसद भी आते -जाते रहे, मुख्यमंत्री भी बदलते रहे, सरकारी भी बदलती रही लेकिन झरिया की पानी  समस्या को दूर करने के लिए कोई कारगर- मजबूत रोड मैप तैयार नहीं किया गया.  नतीजा है कि झरिया बूंद -बूंद पानी को पहले भी तरसती रही और आज भी तरस रही है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो