TNP DESK- पाकुड़ के अमड़ापाड़ा प्रखंड के बड़ा बास्कोपहाड़ गांव में इन दिनों एक अनोखा आंदोलन चल रहा है यहां सरकार की चुप्पी और प्रशासन की बेरुखी से तंग आकर सैकड़ों पहाड़िया ग्रामीणों ने अपने दम पर सड़क निर्माण का बीड़ा उठा लिया है.
वर्षों से सड़क के लिए फरियाद कर-करके थक चुके ग्रामीणों ने जब देखा कि कोई सुनने वाला नहीं, तो उन्होंने कहा अब बस बहुत हुआ, सरकार नहीं बनाएगी तो हम खुद बनाएंगे!
फावड़ा, कुदाल और अटूट हौसले के साथ गांव के युवक, महिलाएं और बुजुर्ग पहाड़ी रास्तों को समतल कर रहे हैं. उनके हाथों में छाले हैं, लेकिन चेहरों पर मुस्कान — क्योंकि यह सिर्फ मिट्टी की सड़क नहीं, आत्मसम्मान की राह है.
ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में गांव से बाहर निकलना किसी जंग से कम नहीं होता. बीमारों को खाट पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है. कई बार प्रशासन को लिखित आवेदन दिए गए, पर न कोई अधिकारी आया, न कोई मशीन.
थक-हारकर अब ग्रामीणों ने खुद ही रास्ता बनाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है — हम अपने बच्चों का भविष्य अंधेरे में नहीं देख सकते। सड़क हमारे जीवन की डोर है, और अब हम इसे खुद बुन रहे हैं.
गांववालों की इस पहल ने पूरे इलाके में एक मिसाल कायम कर दी है. लोग कह रहे हैं — अगर हिम्मत और एकता हो, तो कोई भी पहाड़ रास्ते में रुकावट नहीं बन सकता.
अब ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस खबर से प्रशासन की नींद टूटेगी और शायद बास्को गांव को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का सपना जल्द साकार होगा.
रिपोर्ट:नंद किशोर मंडल, पाकुड़
 
                             
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