धनबाद(DHANBAD):  झरिया की बूढ़ी  हड्डियां  अब सहारा  खोज रही है.  जमीन के नीचे लगी आग शहर को खोखला कर रही है.  पर्यावरण को "दैत्य" बनकर निगल  रही है.  झरिया के लोग अपनी आयु से कम जी रहे हैं, फिर भी झरिया को "झरिया" ही रहने देने की कोई ईमानदार कोशिश सरकारी या राजनीतिक स्तर पर नहीं हो रही  है.  बावजूद कुछ स्वयं सेवी संस्थाएं ,कुछ लोग है , जो पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रयासरत है.  यह उनका प्रयास कितना सफल होगा या तो वह भी नहीं जानते.  लेकिन अपने मकसद में लगे हुए है.  झरिया और आसपास के इलाकों में पेड़- पौधे तो अब नहीं के बराबर है.  लेकिन जो बच गए हैं, उनकी रक्षा भी करने के लिए कोई आगे आने को तैयार नहीं है.  लोगों की नजर सिर्फ यहां के कोयले पर है. 

 कोयले से कमाई का तरीका वैध  हो या अवैध, इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता.  सब काले धंधे के इस "वैतरणी"  को पार कर लेना चाहते है. बावजूद इसके रक्षाबंधन के दिन, अपने भाइयों के हाथों में राखी बाँधने के बाद, झरिया के छात्रों ने झरिया के लिलोरीपथरा इलाके में एक विशाल पेड़ पर राखी बाँधकर, पर्यावरण को अपने परिवार की तरह बचाने का संदेश दिया.  उन्होंने न सिर्फ़ एक बड़े सूखे पेड़ में दो बड़ी राखियाँ बाँधीं, बल्कि समानांतर रूप से पेड़ भी लगाए.  यह पहल कोलफील्ड चिल्ड्रन क्लासेस के संस्थापक पिनाकी रॉय ने की है, जिन्होंने कहा, "यह एक प्रतीकात्मक प्रस्तुति है , कोयला कंपनी के अधिकारियों को याद दिलाने के लिए है.  

 बड़े-बड़े पुराने पेड़ों को बेतहाशा काट दिया जा रहा है , जबकि देश के अन्य हिस्सों में पेड़ों को फिर से स्थापित करने   का तरीका अपनाया गया है. व्यावहारिक शिक्षा के एक भाग के रूप में, कोलफील्ड चिल्ड्रन क्लासेस (CCC) पर्यावरण बचाओ आंदोलन के प्रति बहुत गंभीर है.  हर साल  पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) और 5 जून (पर्यावरण दिवस) मनाता है, जो सामाजिक रूप से बहुत प्रभावशाली होते है. आज के कार्यक्रम में, बच्चों ने 'प्रकृति बचाओ - जीवन बचाओ' के नारे दिए.  नंदिनी कुमारी, मुस्कान कुमारी, गुंजन कुमारी, अभिषेक कुमार, अबनी कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, संजना कुमारी, सिमरन कुमारी, नंदन कुमार, राजवीर कुंमार, आर्यन कुमार, लता कुमारी, सुनयना कुमारी, शिवानी कुमारी और कई बच्चे शामिल हुए. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो