धनबाद (DHANBAD) : धनबाद के शहरी इलाकों में आवारा पशुओं, खासकर सांड़ का आतंक है, तो ग्रामीण इलाकों में हाथियों के डर से लोग घर में तक नहीं रहते. शहर में आवारा पशुओं को पकड़ने का काम नगर निगम का है, तो ग्रामीण क्षेत्र में हाथियों के आतंक से छुटकारा दिलाने का काम वन विभाग का है. लेकिन न नगर निगम धनबाद शहर के लोगों को भय मुक्त करा पा रहा है और नहीं वन विभाग ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को सुकून से रहने की व्यवस्था दे पा रहा है. शहर में सांड़ों का आतंक तो सिर चढ़कर बोलता है. धनबाद के पुराना बाजार में मंगलवार को भी साड़ ने एक बुजुर्ग को बुरी तरह से घायल कर दिया. यह घटना सुबह 10 बजे के आसपास की है.
घायल बुजुर्ग को SNMMCH में भर्ती कराया गया है
अगल-बगल के लोगों ने घायल बुजुर्ग को SNMMCH में भर्ती कराया है. जहां उनका इलाज चल रहा है. घायल बुजुर्ग खरखरी के रहने वाले है. उन्होंने बताया कि वह स्टेशन की ओर जा रहे थे कि पीछे से आकर साड़ ने उन्हें पटक दिया. उन्हें गंभीर चोट लगी है. सड़क पर साड़ो का तो एक तरह से आतंक है. सड़क चलते लोगो को घायल करने की बात कौन कहे,कई लोगो की जान तक ले चुके है यह आवारा साड़, मोहल्ले-गली की बात कौन कहे, मुख्य सड़क पर भी साड़ो की मनमानी चलती है.
ग्रामीण इलाकों में है हाथियों का आतंक
इधर, गिरिडीह, दुमका, जामताड़ा से सटे ज़िलों के ग्रामीण इलाकों में हाथियों का उत्पात लगातार बना रहता है. खासकर टुंडी, पूर्वी टुंडी तथा तोपचांची व आसपास के इलाकों में साल के लगभग 6 महीने हाथी डेरा जमाए रहते है. इनकी चपेट में आकर कई लोगों की जान भी जा चुकी है. फसलों का भी भारी नुकसान होता है. किसी तरह वन विभाग और ग्रामीण संयुक्त रूप से हाथियों को भगा पाते हैं, लेकिन हाथी फिर लौट आते है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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