धनबाद (DHANBAD) : स्कूल परिसर में पटाखा फोड़ने के आरोप में सात बच्चों को पुलिस के हवाले करने के मामले में स्कूल प्रबंधन अब कानूनी शिकंजे में कसता दिख रहा है. डीएसई ने अपर्णा पब्लिक स्कूल को शो कॉज किया है. कहा है कि यह कार्रवाई नियम के खिलाफ थी. अब स्कूल का स्पष्टीकरण प्राप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई होगी. इधर, झारखंड अभिभावक महासंघ ने अपर्णा पब्लिक स्कूल की शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, नई दिल्ली से की है. देखना है कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है? 

गोविंदपुर में संचालित अपर्णा पब्लिक स्कूल का है मामला 

दरअसल, गोविंदपुर में संचालित अपर्णा पब्लिक स्कूल प्रबंधन ने  शुक्रवार को आठवीं कक्षा के सात छात्रों को पटाखा फोड़ने के आरोप में पुलिस के हवाले कर दिया. सभी बच्चों को थाने में घंटो बैठा कर रखा गया था. शाम में अभिभावकों के बांड भरने के बाद पुलिस ने बच्चों को थाने से छोड़ दिया. इस घटना ने अभिभावकों में स्कूल मैनेजमेंट को लेकर नाराजगी पैदा कर दी है. अभिभावक कह रहे हैं कि बच्चों की शरारत को लेकर इतना कठोर कदम नहीं उठाना चाहिए था. बता दे कि स्कूल मैनेजमेंट इतना नाराज हुआ कि गोविंदपुर पुलिस से शिकायत कर दी. पुलिस ने पेट्रोलिंग वाहन स्कूल भेजा. 

घर से बुलाकर एक बच्चे को पुलिस के हवाले किया गया 
 
वहां स्कूल मैनेजमेंट ने 6 बच्चों को रोक रखा था. जबकि एक बच्चा चला गया था. उस छात्र को स्कूल ने फोन कर अभिभावक के साथ बुलाया और पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस सभी को गोविंदपुर थाना ले गई, इसके बाद तो यह घटना जंगल की आग की तरह फ़ैली. बताया जाता है कि सात  छात्रों ने स्कूल के बाथरूम में पटाखा फोड़ दिया था. पुलिस का कहना है कि बच्चों ने स्कूल में पटाखा फोड़ दिया था, इसके बाद प्रबंधन की सूचना पर पुलिस स्कूल पहुंची और बच्चों को थाना लाया गया. थाना में ही अभिभावकों और स्कूल मैनेजमेंट के बीच बातचीत हुई. इसके बाद बच्चों को अभिभावकों के हवाले कर दिया गया. 

स्कूल मैनेजमेंट सवालों के घेरे में आ गया है 
 
खैर, जो भी हो, लेकिन इस घटना ने स्कूल मैनेजमेंट को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. सवाल किये जा रहे हैं कि स्कूल मैनेजमेंट बच्चों को अनुशासन में रखने के बजाए पुलिस का सहारा क्यों लिया ?जो काम पुलिस ने थाने में किया , वह काम तो स्कूल मैनेजमेंट भी कर सकता था.  बच्चों को स्कूल में रोक कर अभिभावकों को बुला सकता था. अभिभावकों के सामने बच्चों की करतूत बता सकता था. चेतावनी दे सकता था, कह सकता था कि अगर फिर इस तरह की घटना बच्चों ने की, तो उन्हें स्कूल से बाहर कर दिया जाएगा. लेकिन मैनेजमेंट ने पुलिस की मदद ली, लेकिन अब यह मदद मैनेजमेंट को भारी पड़ती दिख रही है.

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो