धनबाद(DHANBAD): कहा जाता है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है और इसी नियम के तहत अंग्रेजों के जमाने का कुलिंग टावर अब ध्वस्त होंगे . इस्को स्टील प्लांट परिसर के भीतर लगे इन टावरो को ध्वस्त करने के लिए विशेषज्ञों की टीम विदेश से पहुंच रही है. बता दे कि बंगाल के लोग 6 अप्रैल को इन पांच कुलिंग टावरों के ध्वस्त होने की रोमांचक प्रक्रिया का गवाह बनेंगे. 6 अप्रैल दोपहर 12:00 बजे से 12:45 बजे के बीच विदेशी टेक्नोक्रेट इन पांच कुलिंग टावरों को जमीनदोज करेंगे. दरअसल, सेल इस्को के बर्नपुर संयंत्र में नए संयंत्र के विस्तार के लिए परिसर के अंदर स्थित इन टावरों को ध्वस्त किया जाएगा. सूत्र बताते हैं कि इन कुलिंग टावरों की बनावट कुछ इस ढंग से है, कि ध्वस्त करने के एक्सपर्ट देश में नहीं है.
विदेश के विशेषज्ञ इस काम को करेंगे पूरा
इसलिए यह जिम्मेदारी विदेश की कंपनी को दी गई है. विदेश से विशेषज्ञ बुलाए गए है. इन कुलिंग टावरों को इस तरह से ध्वस्त किया जाएगा कि आसपास के क्षेत्र को कोई नुकसान ना हो. बताया जाता है कि इतने बड़े टावर को ध्वस्त होते देखना बेहद रोमांचकारी हो सकता है. दरअसल, सेल इस्को के बर्नपुर संयंत्र विस्तार की राह पर चल पड़ा है. उत्पादन लक्ष्य 7 मिलियन टन करना है. उत्पादन लक्ष्य हासिल करते ही सेल की यह इकाई देश की सबसे बड़ी इस्पात कारखाने में शामिल हो जाएगी. विस्तार में लगभग 35000 करोड रुपए लग सकते है. काम तो शुरू हो गए हैं ,पूरे होने में लगभग 5 साल लग सकते है. इसके बाद इलाके में बुनियादी परिवर्तन भी संभव है. नए विस्तार से रोजगार और विकास को बढ़ावा मिल सकता है.
जानिए क्या होते है कुलिंग टावर
किसी के मन में भी यह सवाल उठ सकता है कि आखिर कुलिंग टावर है क्या? विशेषज्ञों का कहना है कि कुलिंग टावर विशेष हीट एक्सचेंजर और कनवर्टर होते है. जहां पानी का तापमान कम करने के लिए हवा और पानी को एक दूसरे से सीधे संपर्क में लाया जाता है. इस्पात संयंत्रों में शीतल टावरों की जरूरत होती है, जिससे कि उत्पादन प्रक्रिया में उत्पन्न अपशिष्ट उष्मा को हटाया जा सके. इस स्टील प्लांट की क्षमता पहले 2.5 मिलियन टन थी. बाद में इसे बढ़ाकर 5 मिलियन टन किया गया. उसके बाद अब 7 मिलियन टन करने का लक्ष्य है. वर्ष 1918 में स्थापित इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी कभी मार्टिन बर्न ग्रुप की प्रमुख कंपनी थी. 2006 में सेल के साथ विलय कर दिया गया. तब से इसका नाम इस्को स्टील प्लांट रखा गया. कहा तो यह भी जाता है कि यह कुलिंग टावर अंग्रेजों के समय के बने हुए है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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