धनबाद (DHANBAD) : तो क्या रिटायर्ड कोल कर्मियों और कार्यरत कर्मियों को केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे का साथ मिलेगा. यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि रविवार को कोयला राज्य मंत्री धनबाद में थे. उनसे कोल इंडिया में पूर्व की भांति मेडिकल अनफिट पर नौकरी शुरू करने की मांग की गई. कोल कर्मियों की पेंशन की समीक्षा करने की भी मांग हुई. उन्होंने भरोसा तो दिया लेकिन कोयलाकर्मी इसको लेकर कितने आशान्वित है, यह अभी सवालो में है. विधायक राज सिन्हा ने कोयला राज्य मंत्री से मेडिकल अनफिट पर नौकरी देने और पेंशन की राशि की समीक्षा करने की मांग की. जिस पर मंत्री ने सकारात्मक पहल का भरोसा दिया.
6 सालों में कोल इंडिया में मेडिकल अनफिट के नाम पर नौकरी बंद
बता दें कि पिछले 6 सालों में कोल इंडिया में मेडिकल अनफिट के नाम पर नौकरी अघोषित रूप से बंद है और पेंशन पर जीवित रहने वाले लगातार राशि की समीक्षा की मांग कर रहे है. इसको लेकर कोल इंडिया और इसकी अनुषंगी इकाइयों में संचालित मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठन भी सवालों के घेरे में है. सवाल किया जा रहा है कि क्या श्रमिक संगठनों के दो चेहरे हैं ? एक चेहरे प्रबंधन के सामने होते जबकि दूसरे चेहरे मजदूरों के बीच होते. दरअसल कोयल मंत्री का एक पत्र अभी हाल ही में खूब वायरल हुआ था. यह पत्र केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा सांसद संजय सिंह को लिखा था. पत्र 18 मार्च 2025 को लिखा गया था.
संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक में निर्णय की थी बात
पत्र में सबसे बड़ी बात का जिक्र यह था कि कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी इकाइयों में अनफिट मामले में नौकरी पर रोक कोल इंडिया की संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक में विचार के बाद लिया गया है. बैठक में केंद्रीय ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि भी मौजूद थे. पत्र के अनुसार एनसीडब्ल्यूए के खंड 9.4.0 के क्रियान्वयन के मामले पर 27 जून 2024 को कोल इंडिया की शीर्ष संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक हुई थी. इसमें इस मुद्दे पर विचार किया गया था. इस बैठक में कोल इंडिया, सहायक कंपनियों के प्रबंधन और कोयला उद्योग के केंद्रीय ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि मौजूद थे. कई तरह की चर्चा के बाद निर्णय लिया गया कि स्थाई रूप से विकलांग कर्मियों के आश्रितों को रोजगार प्रदान करने के लिए एनसीडब्ल्यूए के खंड 9.4.0 को लागू करना संभव नहीं है.
पत्र में दसवें वेतन समझौता का था जिक्र
हालांकि दसवें वेतन समझौता के खंड 6.5. 2 के तहत निर्दिष्ट बीमारियों से पीड़ित कर्मचारियों को उनके वेतन का 50% तब तक मिलता रहेगा, जब तक उन्हें मेडिकल रूप से फिट घोषित नहीं कर दिया जाता. बता दें कि कई सालों से मेडिकल अनफिट के नाम पर नियोजन कोल इंडिया में नहीं मिल रहा है. इसके लिए लगातार मांग उठ रही है. आश्चर्य की बात है कि कोल इंडिया की शीर्ष संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक में नौकरी नहीं देने का निर्णय लिया गया था और यह निर्णय पिछले साल जून महीने में ही ले लिया गया था. बावजूद इसकी जानकारी यूनियन नेताओं ने मजदूरों को नहीं दी थी. अब एक बार फिर से यह मांग जोर पकड़ रही है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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