धनबाद(DHANBAD) -  वामपंथी पार्टियां कोयलांचल में अपनी खोई जमीन तलाश रही है. शुक्रवार को सिंदरी में पूरी गहमागहमी रही.  एक तरफ मासस ने अपनी ताकत दिखाई तो दूसरी ओर भाकपा माले ने अपना स्थापना दिवस मनाया. दोनों पार्टियों ने सिंदरी को ही चुना और वहीं से पार्टी को फिर से ताकत देने का ऐलान किया. सिंदरी में  मासस ने  शुक्रवार को कामरेड एके राय नगर में आयोजित पार्टी के दो दिवसीय स्थापना दिवस समारोह के पहले दिन संकल्प सभा में भीड़ जुटाकर अपने पुराने इतिहास को दुहराने की कोशिश की.  

नेता को क्या चाहिए -भीड़ 

केंद्रीय अध्यक्ष आनंद महतो समर्थकों को देखकर काफी उत्साहित थे. उन्होंने कहा कि देश के समक्ष सांप्रदायिकता सबसे बड़ा खतरा है, जाति की राजनीति उफान पर है, देश को  संघर्ष के मुहाने पर खड़ा कर दिया गया है.  बता दें कि कॉमरेड एके राय सिंदरी  में ही नौकरी करते थे और नौकरी छोड़ कर यहीं से मजदूर आंदोलन की शुरुआत की थी.  1972 में पहली बार वह सिंदरी  से विधायक बने ,उसके बाद तीन बार सिंदरी से विधायक रहे और तीन बार धनबाद से सांसद भी रहे. आनंद महतो भी सिंदरी से विधायक रह चुके है. अभी सिंदरी सीट पर भाजपा का कब्ज़ा है. 

सिंदरी और निरसा में लाल झंडे का प्रभाव था

सिंदरी और निरसा में लाल झंडे का प्रभाव था लेकिन धीरे धीरे इसमें ह्रास हुआ. अभी दोनों सीट भाजपा के पास है. एक समय था जब निरसा में गुरदास चटर्जी और केएस  चटर्जी के बीच चुनावी टकराहट होती थी.  गुरदास चटर्जी मासस  से जुड़े होते थे जबकि केएस  चटर्जी भी लाल झंडा  छोड़कर कांग्रेस के साथ  हो गए थे.  गुरुदास  चटर्जी की गिनती कद्दावर विधायकों में होती थी.  उनकी हत्या(14 अप्रैल 2002 )  के बाद उनके बेटे अरूप चटर्जी निरसा से विधायक बने लेकिन पिछले चुनाव में  अपर्णा सेनगुप्ता के हाथों  पराजित हो गए ,हालांकि उनकी सक्रियता पूरे धनबाद में बनी हुई है और कम से कम निरसा और सिंदरी सीट को फिर से पाने के लिए लाल झंडा वाले परेशान है. अपर्णा सेनगुप्ता भी फॉरवर्ड ब्लॉक से भाजपा में आई है. अर्पणा  सेनगुप्ता के पति सुशांतो सेनगुप्ता की हत्या(5 अक्टूबर 2002 ) के बाद वह राजनीति में आई और मंत्री की कुर्सी तक पहुंची.