धनबाद(DHANBAD): देश की  कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी  कंपनियों में कार्यरत ठेकाकर्मियों के कंधों पर ही निर्भर है कंपनी का उत्पादन, लेकिन उनका नाम जब आता है तो कोई निर्णय नहीं होता.  ड्रेस कोड के मामले में भी ऐसा ही कुछ हुआ है.  ठेका पर काम करने वाले कर्मियों के ड्रेस कोड पर कोई फैसला नहीं हुआ है.  कंपनी सूत्र का कहना है कि एनआईटी में बदलाव किए बिना ठेका कर्मियों को ड्रेस कोड निर्धारित नहीं की  जा सकती है.  इधर, मंगलवार को दिल्ली में कोल इंडिया एपेक्स जेसीसी कमेटी की बैठक में कर्मियों  की ड्रेस के लिए राशि तय कर दी गई है.  

चालू वित्तीय वर्ष में हर कर्मी  को 12,500 रुपए दिए जाएंगे.  या राशि कर्मियों के खाते में ट्रांसफर होगी.  इससे कर्मी  तीन सेट ड्रेस खरीद सकेंगे.  कोल इंडिया ने अपने कर्मियों के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया है.  कोल इंडिया सहित तमाम अनुषंगी  कंपनियों में कार्यरत सवा दो लाख कर्मी  अब एक ड्रेस  में नजर आएंगे.  पुरुष कर्मी  हल्की नीली शर्ट और गहरी नीली पेंट पहनेंगे तो  महिला कर्मियों को मेरून साड़ी या कुर्ती पहनकर आना होगा.  

कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद यह पहला मौका है, जब ड्रेस कोड लागू किया गया है.  कोल इंडिया फिलहाल पूरी तरह से कॉर्पोरेट की राह पर चल पड़ी है.  कॉरपोरेट लुक देने के लिए कई बदलाव किए गए है.  ड्रेस कोड भी इसमें एक  कड़ी है. बता दे कि कई कारणों  से कोल इंडिया और इसकी अनुषंगी  इकाइयों में संचालित  मान्यता प्राप्त  श्रमिक संगठन सवालों के घेरे में है. पूछा जा रहा कि  क्या श्रमिक संगठनों के दो चेहरे हैं ?एक चेहरे प्रबंधन के सामने होते जबकि दूसरे चेहरे मजदूरों के बीच होते. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो