धनबाद(DHANBAD) | धनबाद जिला परिषद की 'कुर्सी' जितनी ताकतवर है नहीं , उससे अधिक ताकत उस 'कुर्सी' पर अपने चहेते को बैठाने में लगाया जा रहा है. वोटिंग होने में अभी 4 दिन की देर है. लेकिन इस 'म्यूजिकल चेयर' के लिए जो खेल चल रहा है या जो पत्ते बिछाए गए हैं, वह काफी दिलचस्प है. एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए काफी मजबूती से जाल बिछाए गए है और उसमे दाना डाल कर नवनिर्वाचित जिप सदस्यों को फसाया गया है. इसके अगुआ बने हैं बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो. 2016 के चुनाव में भी वह 'किंगमेकर' की भूमिका में थे और रोबिन गोराई को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाने में सफल रहे थे.
इसका उनको राजनीतिक लाभ कितना मिला या नहीं मिला ,यह तो अलग बात है. लेकिन इस बार अपने चिर परिचित विरोधी पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो को नीचा दिखाने के लिए उन्होंने ताकत झोकी है. जलेश्वर महतो की पुत्र वधू रीना देवी को हराने वाली शारदा सिंह पर दांव खेला है. जैसी की सूचना है - शारदा सिंह का अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है. उपाध्यक्ष पद के लिए विकास महतो के नाम की सहमति लगभग बन गई है. वैसे वोटिंग 15 जून को होगी.
बता दें कि नवनिर्वाचित 21 सदस्य एसी बस में सवार होकर दार्जिलिंग पहुंच गए है. कुछ निजी गाड़ियों से भी गए है. वैसे कहा जा रहा है कि कुल 23 सदस्य दार्जिलिंग गए हैं लेकिन छन- छन कर जो सूचनाएं मिल रही हैं, उसके अनुसार 2 सदस्य अभी धनबाद में ही है. सूत्र इनके नाम सोहराब अली और इसराफुल बता रहे है. सूत्र बता रहे हैं कि धनबाद में रहकर यह लोग खेल बिगाड़ने की कोशिश में है. लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि इसमें उन्हें कहां तक सफलता मिलती है. बताया जाता है कि सभी सदस्य 15 लखटाकिया गाड़ी पर सवार होकर दार्जिलिंग पहुंचे है. बयाना भी ले चुके है. बयाना की राशि कोई कुछ तो कोई कुछ बता रहा है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि 2016 की तरह इस बार कोई भी महाभारत का 'दुर्योधन' बनना नहीं चाहता, सूत्रों के अनुसार 3 सदस्य परेशान हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वह किस गुट में शामिल हो जाये.
वैसे कहा जा रहा है कि एजाज अहमद, मन्नू आलम और भानु प्रताप सिंह कुछ बड़े खेल के चक्कर में थे लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी है. बता दें कि तीनों की पत्नियां चुनाव जीती है. इसके पहले 2016 में जिला परिषद अध्यक्ष का चुनाव हुआ था, उस चुनाव में भी इसी तरह वोटिंग से पहले सदस्यों को झारखंड से बाहर भेज दिया गया था. और उन्हें बाध्य कर दिया गया था कि वह धनबाद के किसी से भी संपर्क में ना रहे. कमोबेश यही स्थिति इस बार भी हुई है. बसों में लादकर सदस्यों को दार्जिलिंग भेज दिया गया है. पिछली बार के इसी खेल के विरोध में जिप संख्या 13 से जीते कांग्रेस नेता अशोक कुमार सिंह ने वोटिंग का बहिष्कार किया था. उस समय महाभारत के 'दुर्योधन' ने पूरी कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए और उन्हें भारी नुकसान सहना पड़ा था.
एक बात यहां उल्लेख करना और जरूरी है कि जो सदस्य दार्जिलिंग का सैर कर रहे हैं, उनमें कॉन्ग्रेस ,झामुमो, मासस के भी समर्थक होने का दावा करने वाले लोग है. मतलब कि इन पार्टियों के बड़े नेता ताकते रह गए और नवनिर्वाचित सदस्य सैर सपाटा पर निकल गए और बयाना भी पकड़ लिया. मतलब पार्टी या संगठन के प्रति किसी की कोई आस्था नहीं है. सब नवनिर्वाचित सदस्य अपनी-अपनी देख रहे है. यहां बता दें कि इस बार चुनाव में भारी बदलाव देखने को मिला. बड़े-बड़े दिग्गज हार गए. लोगों ने बड़ी उम्मीद और विश्वास के साथ बदलाव किया कि उनके क्षेत्र का विकास होगा. लेकिन जिन पर वोटरों ने भरोसा जताया, वह अभी से ही विश्वासघात करने में जुट गए है. आखिर लक्ष्मी से प्यार तो सबको रहता है. कौन घर आई लक्ष्मी को दुत्कारना चाहता है.
रिपोर्ट : सत्य भूषण सिंह ,धनबाद
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