धनबाद(DHANBAD):  इस वर्ष दुर्गा पूजा की विशेषता यह रही कि  राजनीति से जुड़े लोग  पंडालो  में पहुंचकर भी पंडाल से दूर रहे.  समर्थकों के साथ पंडाल पहुंच तो रहे थे लेकिन उनकी नजर मां दुर्गा की  चरणों के बजाय उनके समर्थक कितने साथ आए हैं, कितने लोग उन्हें देख रहे हैं, कितने से उनकी पहचान बढ़ानी है.  इन्हीं सब पर ध्यान केंद्रित रहा.  आखिर ऐसा हो भी क्यों नहीं, चुनाव जो आने वाला है.  जनता को 5 वर्ष बाद अपना हिसाब लेना है तो नेताओं को अपना रिपोर्ट कार्ड भी वोटरों को बताना है.  खैर, कुछ पंडालो  को छोड़कर आज तो बहुत जगह पर प्रतिमा विसर्जित हो जाएंगी.  फिर तो टिकट मिलने और कटने की चर्चा ही रहेगी.  वैसे झारखंड में इस बार चर्चा एनडीए ,इंडिया ब्लॉक  को लेकर भी रहेगी तो छोटी-छोटी पार्टियों  या निर्दलीय उम्मीदवार भी चर्चा में  रहेंगे. 

कांग्रेस की डिमांड पर चल सकती है कैंची 
 
सूचना पक्की है कि कांग्रेस 34 सीटों पर चुनाव लड़ने का डिमांड किया है, जबकि 25 सीट ही कांग्रेस को देने पर महागठबंधन की अगुआ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा राजी है.  यह  अलग बात है कि इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन काफी चौकस और चौकन्ना है.  वह हर हाल में चुनाव की बागडोर अपने हाथों में पूरी तरह से रखना चाह रहे है.  इसके कई कारण है.  हर एक सीट को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.  एनडीए की तरह इस बार इंडिया ब्लॉक में भी पार्टियों  की संख्या बढ़ी है.  2019 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था.  कांग्रेस 31 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जबकि राजद  8 सीटों पर चुनाव लड़ा था.  राजद  को सिर्फ एक ही सीट मिल पाई थी.  इस बार एके  राय की पार्टी का विलय  माले  में हो गया है.  इस वजह से माले  भी दबाव बढ़ाने की कोशिश में है.  सूत्र बताते हैं कि इस बात को तय कर लिया गया है कि 2019 के चुनाव में राजद  8 सीटों पर लड़ा था, लेकिन 2024 के चुनाव में राजद  के कोटे को ही काटकर माले  को दिया जाए. 

इस बार लड़ने नहीं जीतने के लिए मिलेंगी सीटें 
 
अब देखना होगा कि इंडिया ब्लॉक में पार्टियों के बीच कितने सीटों पर सहमति बनती है.  इतना तो तय है कि इस चुनाव में सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए सीट  नहीं दी जाएगी.  जीतने वाले उम्मीदवार को ही प्रत्याशी बनाया जाएगा.  यह काम एनडीए में भी होगा और इंडिया ब्लॉक में भी.  लेकिन इतना तो तय है कि इंडिया ब्लॉक को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा चौकस और चौकन्ना है.  वह यह भी जानता है कि गठबंधन के मित्र दल चाहे दबाव जितना भी बना ले, लेकिन चुनाव गठबंधन में ही लड़ेंगे.  झारखंड मुक्ति मोर्चा हर सीट का प्रेजेंट और पास्ट आंकड़ा जुगाड़ करने के बाद ही सीटों के बंटवारों पर बात आगे बढ़ा रहा है.  वैसे भी, झारखंड में राजद  से अधिक अब माले  की पकड़ बन जाएगी.  कांग्रेस भी अभी तक झारखंड में जमीन ही तलाश रही है.  देखना है कि  बात आगे कहां तक जाती है और समझौते के तहत किस दल को कितनी सीट  मिलती है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो