धनबाद(DHANBAD): झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल से छूटने के बाद झारखंड का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है. हेमंत सोरेन कह रहे हैं कि अभी वह न सरकार देख रहे हैं और ना संगठन. अभी तो कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त कर रहे हैं .
भाजपा विधानसभा जीत का सपना देख रही है, वह मुंगेरीलाल के हसीन सपने साबित होंगे
दूसरी ओर भाजपा भी झारखंड में सक्रिय हो गई है. आदिवासी आरक्षित सीटों पर क्यों पार्टी पिछड़ी, इसके कारणों की पड़ताल हो रही है. यह तय करने की कोशिश हो रही है कि विधानसभा के चुनाव में किस तरह आदिवासी आरक्षित 28 सीटों पर परचम लहराया जाए. लोकसभा चुनाव में पांच आदिवासी सीटों पर इंडिया ब्लॉक को सफलता मिली है. इसके बाद से 28 विधानसभा आरक्षित सीट चर्चा में है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सिर्फ 28 में से दो सीट ही जीत पाई थी. हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार को चुनौती दी है कि कल विधानसभा चुनाव की घोषणा करें, परसों से भाजपा का सफाया कर देंगे .उन्होंने जोर देकर कहा है कि भाजपा विधानसभा जीत का जो सपना देख रही है ,वह मुंगेरीलाल के हसीन सपने साबित होंगे. 5 महीने बाद जेल से छूटने के बाद वह नए अंदाज में दिख रहे हैं. उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएं. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने संवैधानिक संस्थाओं को मुट्ठी में कर लिया है, लेकिन देश में लोकतंत्र अभी जिंदा है. सबसे बड़ी अदालत जनता की अदालत है और जनता ने जवाब दे दिया है. यह अलग बात है कि बातों के बीच वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चर्चा करना नहीं भूलते. उनका कहना है कि राज्य के खनिजों से देश को हम राजस्व देते हैं और बदले में हमें भीख मिलती है. अब यह काम नहीं होगा. बहुत जल्द राज्य और देश में एक ऐसा बदलाव देखने को मिलेगा .जहां गरीबों की आवाज सुनी जाएगी. सड़क से लेकर सदन तक हम लोग मुंहतोड़ जवाब देंगे.
भाजपा के चाणक्य अमित शाह की नजर भी झारखंड पर
दूसरी ओर भाजपा के चाणक्य अमित शाह की नजर भी झारखंड पर गड़ी हुई है. 20 जुलाई को वह रांची आ सकते हैं .इस बीच शनिवार को आदिवासियों के बीच पैठ बनाने को लेकर प्रदेश भाजपा रणनीति बनाने में जुट गई है. इसको लेकर विधानसभा चुनाव के सब प्रभारी शनिवार को पार्टी के प्रमुख जनजाति नेताओं से मुलाकात कर फीडबैक लिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व सांसद गीता कोड़ा, सीता सोरेन, समीर उरांव, सुदर्शन भगत ,अरुण उरांव से फीडबैक लिया. चुनाव सह प्रभारी यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि कहां चूक हुई कि पार्टी लोकसभा में आरक्षित सीटों पर पिछड़ गई. उन्होंने अर्जुन मुंडा, गीता कोड़ा, सीता सोरेन, समीर उरांव से अलग-अलग बात कर उनका अनुभव जाना. साथ ही आरक्षित सीटों पर विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम कैसे आ सकता है, इसका भी सुझाव लिया. नेताओं से पूछा कि आखिर पार्टी कैसे आदिवासियों के साथ सीधा संवाद कर सकती है.सूत्रों के अनुसार नेताओं ने बताया कि आदिवासी समुदाय के को कोर इश्यू पर फिर से विचार करने की जरूरत है. जो भी हो लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव इस बार भी रोचक होगा. एनडीए और इंडिया ब्लॉक में कांटे की टक्कर होगी. संथाल परगना फिर टारगेट में रहेगा. आदिवासी आरक्षित सीट पर सब की नजर रहेगी.
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