टीएनपी डेस्क (TNP DESK): झारखंड की पहली राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू अब देश की प्रथम आदिवासी राष्ट्रपति बन चुकी हैं. इसको लेकर सत्तानशीं भाजपा और समर्थित दलों में खुशी है ही, देश की 8.6% आबादी में भी हर्ष व्याप्त है. क्योंकि पराधीनता से राष्ट्र को मुक्त कराने में धरती आबा बिरसा मुंडा और तिलका मांझी समेत अनगिनत आदिवासी वीरों की शहादत और संघर्ष का योगदान रहा है. लेकिन सत्ता में उनकी भागीदारी नगण्य रही है. पहली बार दश के सर्वोच्च पद पर किसी आदिवासी और उसमें भी उस वर्ग की महिला का पहुंचना निस्संदेह ऐतिहासिक इबारत लिख गया है.
भाजपा की है ये योजना
भाजपा और समर्थित दल यानी एनडीए की योजना है कि देश के आदिवासियों के बीच ये संदेश जाना चाहिए. इसका लाभ उन्हें राजनीतिक भी होगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक योजना है कि साठ हजार से अधिक आदिवासी बहुल गांव में द्रौपदी मुर्मू की तस्वीर लगाई जाएगी. झारखंड में 500 आदिवासी बहुल गांव बताए जाते हैं. इस अभियान में भाजपा और अन्य संगठन शामिल रहेंगे. इस सपने को एक अभियान चलाकर साकार किया जाएगा.
निकाली जाएगी संदेश यात्रा भी
भाजपा की योजना है कि आदिवासियों के बीच संदेश यात्रा भी निकाली जाएगी. जिसमें द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा. उनके संघर्ष और व्यक्तित्व से रूबरू कराया जाएगा. उन्हें बताया जाएगा कि लोकतंत्र में हाशिये पर रहा समाज भी शिखर तक पहंच सकता है.
क्या है देश में आदिवासियों की स्थिति
देश में आदिवासियों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. जल, जंगल और जमीन के लिए उनका संघर्ष अनवरत जारी है. झारखंड से लेकर बस्तर और उत्तर-पूर्वी राज्यों में अपने अधिकारों के लिए आदिवासी आंदोलनरत रहते हैं. देश में आदिवासियों की आबादी करीब 10 करोड़ है. इसमें इनकी आबादी सिक्किम में 33.8 फ़ीसदी, मणिपुर में 35.1, त्रिपुरा में 31.8, छत्तीसगढ़ में 30.6 प्रतिशत, झारखंड में 26.2, ओडिशा में 22.8, मध्य प्रदेश में 20, बिहार में 15, गुजरात में 15, राजस्थान में 13.48, महाराष्ट्र में 9 और पश्चिम बंगाल में 5.8 प्रतिशत है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, मेघालय, दादर एवं नागर हवेली और लक्षद्वीप में भी इनकी जनसंख्या अच्छी-खासी है.
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