टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाई कोर्ट के उस रवैये पर हैरानी जताई, जिसमें झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखने के बाद 67 आपराधिक अपीलों पर फैसला नहीं सुनाया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बातें कही जिसमें चार सजायाफ्ता कैदियों ने दायर किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड हाईकोर्ट में उनकी आपराधिक अपीलों पर फैसला सुरक्षित होने के बावजूद 2-3 साल से फैसला नहीं दिया गया है. वहीं इस मामले पर चिंता जताते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने मौखिक रूप से कहा कि "यह स्थिति बेहद चिंताजनक है. ऐसा होने की परमिशन नहीं दी जा सकती है, इसपर निश्चित रूप से कुछ अनिवार्य दिशा-निर्देश तय करना होगा.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वे 31 जनवरी 2025 तक या उससे पहले सुरक्षित रखे गए उन सभी मामलों की विस्तृत रिपोर्ट पेश करें, जिनमें अभी तक फैसला नहीं सुनाया गया है. यह रिपोर्ट आपराधिक और सिविल मामलों की तरह अलग-अलग होनी चाहिए और यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि मामला सिंगल बेंच से संबंधित है या डिविजन बेंच से.
झारखंड उच्च न्यायालय से मांगी गई डिटेल रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट पर भी गौर किया, जिसमें कहा गया था कि झारखंड उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय से नोटिस मिलने के बाद एक सप्ताह में 75 आपराधिक अपीलों का निपटारा कर दिया. न्यायालय ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को इन 75 मामलों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से यह बताया जाना चाहिए कि फैसला कब सुरक्षित रखा गया था और कब सुनाया गया था.
सजायफ्ता द्वारा दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2022 से दिसंबर 2024 तक खंडपीठ द्वारा सुनी गई 56 आपराधिक अपीलों में आदेश सुरक्षित रखे जाने के बावजूद फैसला नहीं सुनाया गया है. इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि एकल पीठ के न्यायाधीश के समक्ष आदेश सुरक्षित रखे जाने के बावजूद 11 आपराधिक अपीलों में फैसला नहीं सुनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट आजीवन कारावास की सजा काट रहे चार दोषियों की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इन दोषियों ने अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से याचिका दायर कर दावा किया है कि झारखंड उच्च न्यायालय ने 2022 में दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील पर आदेश सुरक्षित रखा था, लेकिन फैसला नहीं सुनाया. इस कारण वे छूट का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.
Recent Comments