धनबाद (DHANBAD): बात 15 जुलाई'1998 की है. कतरास हटिया शहीद भगत सिंह चौक के पास ताबडतोड़ गोलियों से हमला कर विनोद सिंह और उनके चालक मन्नु अंसारी को मौत के घाट उतार दिया गया था. तब सुबह के करीब 8.40 बज रहे होंगे. तब विनोद सिंह के भाई दून बहादुर सिंह ने पुलिस बयान में बताया था कि विनोद सिंह कोल डंप जाने के लिए अपनी नई एम्बेस्डर कार से निकले थे. कार मन्नु अंसारी चला रहा था. पीछे-पीछे वह  भी अपनी महिंद्रा जीप से निकले थे. पंचगढी बाजार में दोनों गाडियां जाम में थोडी देर फंसी रही. सुबह वे लोग कतरास हटिया भगत सिंह चौक के पास जैसे ही पहुंचे, एक सादे रंग की मारुति कार दोनों गाडियों को ओवरटेक कर आगे रुक गई. मारुति से तीन लोग उतरे और विनोद सिंह की गाड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी.  मेरी गाडी करीब 50 गज दूर थी.  मैं डर से वहीं रुक गया, फयारिंग के बाद तीनों मारुति में बैठे और राजगंज की ओर भाग गए.  हमलोग दौड़कर एम्बेस्डर के पास पहुंचे, विनोद सिंह और मन्नु खून से लथपथ गिरे हुए थे. भागते हुए तिलाटांड सेंट्रल अस्पताल गए और डॉक्टर  को लेकर पुन: घटना स्थल पर लौटे.  हमलावरों में रामधीर सिंह और राजीव रंजन सिंह शामिल थे.

आज हम उन्हीं रामधीर सिंह की कहानी आपको बताएंगे. आज वो इसी मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. इनकी याचिका पर हाई कोर्ट 16 अगस्त को सुनवाई करेगा.  लोअर कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी है. रामधीर सिंह झरिया के पूर्व विधायक स्वर्गीय सूर्यदेव  सिंह के पांच भाइयों में सबसे छोटे है. रामधीर  सिंह को 'सिंह मेन्शन'   के रणनीतिकार के रूप में देखा जाता है.  कई मौकों पर उन्होंने अपनी इस पहचान को साबित भी किया है. रामधीर सिंह उत्तर प्रदेश के बलिया के  जिला परिषद अध्यक्ष भी रह चुके है. 

कई सालों तक उन्होंने बलिया की राजनीति की.  सूर्य देव सिंह के द्वारा स्थापित जनता मजदूर संघ के वह अध्यक्ष भी रह चुके हैं. लेकिन सजायाफ्ता होने के बाद उन्हें इस पद से हटा दिया गया . विनोद सिंह हत्याकांड में लोअर कोर्ट ने 2015 में रामधीर सिंह को उम्र कैद की सजा सुनाई थी.  डेढ़ साल से अधिक समय तक फरार रहने के बाद उन्होंने धनबाद कोर्ट में सरेंडर किया था.  उनकी  पत्नी इंदू देवी धनबाद नगर निगम की मेयर  रह चुकी हैं.  

कौन थे विनोद सिंह 

15 जुलाई' 1998 को जिन  विनोद सिंह की हत्या कर दी  गई थी. वो बिहार जनता खान मजदूर संघ के महामंत्री और जनता दल के नेता सकलदेव सिंह के भाई थे, हालांकि 99 में सकलदेव सिंह की भी फिल्मी स्टाइल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. विनोद सिंह के पिता मुखराम सिंह तब के बिहार के छपरा ज़िले के उरहर पुर गांव से धनबाद के सिजुआ आये थे.

रामधीर के बेटे पर कोयला कारोबारी सुरेश सिंह की हत्या का आरोप

रामधीर सिंह के बेटे शशि सिंह पर कोयला कारोबारी व कांग्रेस नेता सुरेश सिंह की हत्या का भी आरोप है. आरोप के अनुसार धनबाद क्लब में आयोजित एक शादी समारोह में किसी बात को लेकर तनातनी होने के बाद शशि सिंह ने अपनी माउजर की गोलियां सुरेश सिंह पर खाली कर दी.  उसके बाद वह पजेरो गाड़ी से धनबाद छोड़ दिए.  सुरेश सिंह की हत्या 7 दिसंबर 2011 को कर दी गई थी.  सुरेश सिंह की हत्या के बाद शशि  सिंह धनबाद से फरार हो गए और आज तक नहीं लौटे.  धनबाद पुलिस अभी भी शशि सिंह को ढूंढ रही है.  सुरेश सिंह की हत्या के बाद धनबाद में हलचल मच गई थी.  सुरेश सिंह कॉन्ग्रेस के टिकट पर झरिया से चुनाव भी लड़ चुके थे.  सुरेश सिंह हमेशा हथियारबंद अंग रक्षकों के साथ रहते थे बावजूद 7 दिसंबर 2011 को उनकी हत्या कर दी गई थी.