टीएनपी डेस्क (TNP DESK): अग्निपथ योजना के बीच पहले रोड़ा बना देशभर में युवाओं का आंदोलन. जब उसकी आंच शांत हुई और बेरोजगार युवा अग्निवीर की तैयारी करने लगे तो अब नया विवाद खड़ा हो गया है. आरोप है कि अग्निवीर के आवेदकों से जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है. विपक्ष का सवाल है कि भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है. विवाद की शुरुआत बिहार से हुई जो अब दिल्ली तक पहुंच चुकी है. दिल्ली हाई कोर्ट में इस संबंध में याचिका भी दायर कर दी गई है.
भाजपा के वरुण गांधी ने भी उठाया सवाल
Caste Certificate और Religion Certificate को लाल रंग का निशान लगाता हुआ स्क्रीनशॉट तेजी से शेयर किया जा रहा है. AAP सांसद संजय सिंह ने ट्वीट पर सवाल उछाला है कि सरकार को 'अग्निवीर' बनाना है या 'जातिवीर'. राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने तंज कसा, 'जात न पूछो साधु की लेकिन जात पूछो फौजी की'. उनका सवाल है, क्या अब हम जाति देख कर किसी की राष्ट्रभक्ति तय करेंगे? कांग्रेस के नेता उदित राज ने एक लाइन का ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला. उन्होंने लिखा, 'अग्निवीर में जाति की एंट्री! इन सबके बीच भाजपा सांसद वरुण गांधी का ट्वीट सबसे अधिक चर्चा में है. उन्होंने अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. भाजपा की ही सहयोगी पार्टी जदयू है. उसके संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सवाल खड़ा किया और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से इस पर स्पष्टीकरण मांगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना का बयान
सेना की ओर से आए स्पष्टिकरण में कहा गया है कि सेना की किसी भी भर्ती में पहले भी उम्मीदवारों से जाति प्रमाण पत्र और धर्म प्रमाण पत्र मांगा जाता था. इसे लेकर अग्निपथ योजना में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बयान में कहा, 'भारतीय सेनाओं में भर्ती को लेकर जारी व्यवस्था में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। पुरानी व्यवस्था के तहत ही भर्तियां की जा रही हैं.'
राजनीतिक दल पहले भी कर चुके हैं मांग
आज जो सियासल जमातें अग्निपथ में जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने का विरोध कर रही हैं. उन्हें पता होना चाहिए कि सेना में जाति रेजीमेंट पहले से ही हैं और कई पार्टियों इकी मांग भी कर चुकी हैं. सपा ने 2019 के चुनावी घोषणापत्र में अहीर रेजिमेंट बनाने का वादा किया था. भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा था कि सत्ता में यदि वे आए तो, "चमार रेजिमेंट" दोबारा बनवाएंगे.
जाति, धर्म और क्षेत्र आधारित 27 रेजिमेंट सेना में
वरिष्ठ पत्रकार पुष्परंजन बताते हैं कि जाति आधारित बटालियन की शुरुआत अपने देश में 1903 में पहले से तीसरे गौड़ ब्राह्मण इन्फेंट्री से हुई, जिसे प्रथम विश्व युद्ध में प्रतिबंधित कर दिया गया. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 'चमार रेजिमेंट ' बना जिसे दिसंबर 1946 में बैन कर दिया गया. 1941 में लिंगायत बटालियन का सृजन भारतीय सेना में हुआ था. आज जाति, धर्म और क्षेत्र आधारित 27 रेजिमेंट भारतीय सेना में हैं. जिसमें पहला, 'पंजाब रेजिमेंट' 2. मद्रास रेजिमेंट 3. मराठा लाइट इन्फेंट्री 4. राजपुताना राइफल्स 5. राजपूत रेजिमेंट 6. जाट रेजिमेंट 7. सिख रेजिमेंट 8. सिख लाइट इन्फेंट्री 9. डोगरा रेजिमेंट, 10. गढ़वाल राइफल्स 11. कुमाऊँ रेजिमेंट 12. असम रेजिमेंट 13. बिहार रेजिमेंट 14. जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स 15. जम्मू एंड कश्मीर लाइट इन्फेंट्री 16. नागा रेजिमेंट 17. गोरखा राइफल्स की सात शाखाएं इसमें जोड़ लें . उसे जोड़ने के बाद 24 वें नंबर पर लदाख स्काउट्स, 25. अरुणाचल स्काउट्स और 26 वें नंबर पर सिक्किम स्काउट्स, और 27 वें नंबर पर महार रेजिमेंट है .
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