जमशेदपुर (JAMSHEDPUR) - पैरेंटिंग एक ऐसी स्किल है जिसको आज सीखने की जरुरत है. लेकिन हमारे समाज में आमतौर पर इस पर बात नहीं होती. हमने मान लिया है कि वक्त सब कुछ सिखा देता है. लेकिन बदलता वक्त इतना चुनौतीपूर्ण है कि वक्त आ गया है कि बदलते वक्त की नज़ाकत को समझते हुए हम positive पैरेंटिंग सीखे. ये कैसे संभव है? अलग अलग शहरों में रह रही तीन युवतियों अक्षरा, अवलीन और पलक ने इसे संभव कर दिखाया है. जमशेदपुर की अक्षरा, दिल्ली की अवलीन और पंजाब के लुधियाना की पलक ने घर बैठे ही parentown.in नाम से इस कोरोना काल में ऐसी वेबसाईट बना ली है जो positive पैरेंटिंग सिखाती है. महज 23 वर्ष की इन तीनों युवतियों का ये स्टार्ट अप इस अर्थ में अनूठा है कि पैरेंटिंग को प्रोफेशनली सीखना हमारे देश के कल्चर में नहीं है. उस पर कोरोना काल ने अलग तरह का तनाव दे दिया है. जिसका असर पैरेंटिंग पर खासा पड़ा हो. ऐसे में गुड और positive पैरेंटिंग का ये online प्लेटफॉर्म काफी प्रासंगिक(relevant) है.

Parenting की चुनौतियां

Parentown.in  एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां पैरेंट्स अपनी अपनी चुनौतियों और संघर्ष को साझा करते हैं और एक दूसरे से सीखते हैं. इस online प्लेटफॉर्म पर पैरेंटिंग एक्सपर्ट्स हैं जो पैरेंट्स को पैरेंटिंग से संबंधित समस्याओं के समाधान बताते हैं.  इस प्लेटफॉर्म का मकसद पैरेंट्स को इस दिशा में जागरूक करना है कि पैरेंटिंग का तात्पर्य महज बच्चों को दूध/भोजन देना, उनके डाईपर बदलना, उनको बड़ा करना भर नहीं है. बल्कि कदम कदम पर विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए बच्चों को बेहतर वातावरण के बीच परवरिश देना है ताकि उनका मानसिक विकास अनवरत चलता रहे।इस वेबसाईट के जरिए पैरेंट्स को ये भी बताया जाता है कि बच्चों के बेहतर लालन पालन के लिए चाईल्ड साईकोलौजी को समझने की जरुरत होती है. मनोवैज्ञानिक अजिताभ गौतम कहते हैं कि लालन पालन की प्रक्रिया में सिर्फ बच्चे बड़े नहीं होते बल्कि बड़े भी और बड़े होते हैं. इस प्रक्रिया में बड़ों को इगो का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

बच्चों के व्यवहार से संबंधित गाईडेंस

ये वेबसाईट बच्चों के व्यवहार से संबंधित गाईडेंस देता है. यह वेबसाईट ये समझाने में मददगार की भूमिका निभाता है कि पैरेंट्स अपनी जिंदगी के Trauma बच्चों पर थोपकर उनका मानसिक विकास अवरूद्घ न करें. बच्चों पर बहुत ज्यादा सिखाने, पाबंदी लगाने, उनकी अत्यधिक चिंता करने और जरूरत से ज्यादा सतर्कता बरतने से उनका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है. कई बच्चों में स्थाई असुरक्षा घर कर लेती है. ऐसी समस्याओं पर यहां खुलकर बातचीत होती है और एक्सपर्ट्स पैरेंटस को गाईड करते हैं. हालांकि इस तरह के स्टार्ट अप के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन तीनों युवतियां धीरे धीरे लोगों को इस वेबसाईट के प्रति जागरूक कर रही हैं और उनको विश्वास है कि ये स्टार्टअप बेहतर पैरेंटिंग की दिशा में एक बेहतर प्रयास साबित होगा।अभिभावक अनीश झा को इस वेबसाईट की ये पहल अच्छी लगी है.

तीनों युवतियों के बारे में

अक्षरा, अवलीन और पलक तीनों ने दिल्ली में एक ही college से पढ़ाई की है और गहरे दोस्त हैं. पढ़ाई खत्म होने के बाद सभी अपने अपने शहर आ गईं।तीनों अलग अलग क्षेत्रों में काम करती हैं. इसी बीच कोरोना काल में उनलोगों ने देखा कि पैरेंटिंग और भी चुनौतीपूर्ण बनती जा रही है।इस विषय पर आपसी विचार साझा किए और मिलकर पैरेंटिंग के क्षेत्र में स्टार्टअप की योजना बनी.

रिपोर्ट : अन्नी अमृता, जमशेदपुर