धनबाद (DHANBAD) : धनबाद के प्रदूषित पर्यावरण को ठीक करने के लिए पेड़ लगाने का खेल. एक पेड़ वन विभाग लगा रहा है तो दूसरी ओर निगम अपने 55 वार्ड  के अलावा  अन्य कुछ जगहों पर वृक्षारोपण करा रहा है.  धनबाद के सिटी सेंटर से बरवाअड्डा तक 34 करोड़ की लागत से बनी 5.5 किलोमीटर फोरलेन सड़क को बनाने के पहले आरसीडी (पथ निर्माण विभाग) द्वारा कुल 417 पेड़ काटे गए थे. नियम के अनुसार इसके 5 गुना पेड़ लगाने हैं.  इसके लिए पथ निर्माण विभाग ने वन विभाग को  8 जनवरी 2020 को 45 लाख 12 हज़ार 889 रुपए ट्रांसफर कर दिया. उस पैसे से अभी तक वन विभाग ने मेमको मोड़ से सटे भेलाटांड़ कोऑपरेटिव कॉलोनी में 1000 पेड़ और टुंडी के अजबडीह रोड  में 1000 पेड़ लगाए हैं. उन पेड़ों में शीशम, सागवान, जामुन, अर्जुन, कटहल, आम, पीपल सहित बड़े आकार वाले पेड़ शामिल हैं.  पेड़ स्वस्थ एवं उन्मुख हैं.  

 नहीं है फोरलेन और आठ लेन सड़क के किनारे पेड़ लगाने की जगह

वन विभाग का कहना है कि फोरलेन सड़क के किनारे पेड़ लगाने की जगह नहीं छोड़ी गई है. इसलिए वहां पर पेड़ लगाना संभव नहीं है. साथ ही सड़क के डिवाइडर के बीच इतनी जगह नहीं होती कि पौधों की जड़ जमीन के भीतर जा सके.  ऐसे में पौधे कामयाब नहीं होंगे और पैसे की बर्बादी होगी.  उधर इसी फोरलेन सड़क के डिवाइडर पर धनबाद नगर निगम सजावटी अशोक का पेड़ लगा रहा है.  एक पेड़ की कीमत लगभग 2650 रुपए तय हुआ है. यह काम निगम की तीन एजेंसी कर रही है.  इसके अलावा  ग्रीन थंब योजना के तहत धनबाद नगर निगम अपने सभी 55 वार्ड में 16 करोड़ की राशि से एक लाख पेड़ लगाने की योजना तैयार की है. पहले फेज में 2700 वृक्ष लगाने की योजना है.  दो  साल पहले भी निगम ने एक करोड़ 33 लाख रुपए वृक्षारोपण में खर्च किए थे. लेकिन उसका परिणाम बहुत सुखद नहीं रहा. 

 कैसे बचेंगे डिवाइडर के बीच के पेड़ !

अब सवाल उठता है कि डिवाइडर के बीच में निगम जो सजावटी अशोक का वृक्ष लगा रहा है, उससे धनबाद को कितना ऑक्सीजन मिलेगा,  पर्यावरण कितना सही होगा!  वन विभाग जो काम कर रहा है, वह बहुत ही प्रोफेशनल ढंग से हो रहा है जबकि निगम को पौधे लगाने में कोई एक्सपर्टीज नहीं है. फिर भी जैसे- तैसे ,जहां-तहां वृक्ष लगाकर निगम जो खेल करना चाहता है, कर रहा है.  इस मामले में सबकी अपनी अपनी दलीलें है.  पथ निर्माण विभाग का अपना तर्क है -पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता दिनेश प्रसाद का कहना है कि पेड़ लगाने की राशि वन विभाग को दे दी गई है और वन विभाग पेड़ लगा रहा है. दूसरी ओर वन विभाग का कहना है कि सिटी सेंटर से लेकर बरवड्डा  तक की सड़क के दोनों किनारों पर इतनी जगह नहीं छोड़ी गई हैं कि वृक्ष लगाया जा सके.  इसलिए वह उसके बदले मेमको  मोड़ से सटे भेलाटांड कॉपरेटिव कॉलोनी और अजबडीह -टुंडी रोड में पौधे लगवा रहा है. यही हाल गोल बिल्डिंग से लेकर काको मठ तक बनने वाली आठ लेन सड़क की भी है. यह आठ लेन सड़क विश्व बैंक की सहायता से साज द्वारा 410 करोड़ की लागत से बन रही है लेकिन इस सड़क के अगल-बगल भी जगह नहीं छोड़ी गई है. नतीजा है कि राज्य सरकार की एजेंसी साज से मिले पैसे से वन विभाग पुटकी में पेड़ लगा रहा है.  यहां ये भी सवाल उठ रहा है कि वन विभाग जो पौधे लगवा रहा है ,उसकी किस्म और पोषण अच्छा है, लेकिन निगम डिवाइडर पर अथवा अपने वार्डो में जो पेड़ लगा रहा है, उस पेड़ से आम आदमी को कितना फायदा होगा, यह सवालों के घेरे में है. 

पौधरोपण से फ़ायदा सवालों के घेरे में

धनबाद के विधायक राज सिन्हा इसपर सवाल उठा रहे हैं. इन लोगों का मानना है कि यह दिखावे का पौधरोपण हो रहा है, इससे ना तो धनबाद सुन्दर  होगा और न धनबाद के लोगों को ऑक्सीजन मिलेगा.  दूसरी ओर धनबाद नगर निगम के उप नगर आयुक्त राजेश कुमार का कहना है कि निगम अपनी एजेंसी के माध्यम से पौधे लगवा रहा है, देखरेख, पौधों की कीमत, घेराबंदी, तीन वर्ष मेंटेनेंस सहित सुरक्षा का खर्च 2600 रुपए के आसपास आ रहा है.  ऐसे में गड़बड़ी की कोई बात ही नहीं है.  लेकिन निगम और वन विभाग के पेड़ लगाने के तरीके से यह समझा जा सकता है कि कौन काम बेहतर कर रहा है और किन के द्वारा लगाए गए पौधे से धनबाद और धनबाद के लोगों को फायदा होगा.  क्या निगम के अधिकारी यह बता सकते हैं कि उनके द्वारा जिस क्वालिटी के वृक्ष लगाए जा रहे हैं, उससे क्या धनबाद कभी हरा भरा हो सकता है. क्या सड़कों की डीपीआर बनाने के पहले कोई जाँच होती भी है या नहीं. इसके लिए जिम्मेवार कौन है और इस लापरवाही के लिए किस पर जिम्मेवारी तय होनी चाहिए.

रिपोर्ट : अभिषेक कुमार सिंह ,ब्यूरो हेड ,धनबाद