धनबाद (DHANBAD) - प्रमोद सिंह को किसने मारा, यह सवाल आज भी यथावत बना हुआ है. 2003 में भी सवाल था और 2022 में भी सवाल है. चर्चा तब भी थी और आज भी है कि धनबाद और यूपी के बाहुबलियों की लड़ाई में प्रमोद सिंह मारे गए. लेकिन किसने मारा या किसने मरवाया, इसका उत्तर अभी भी पहेली बना हुआ है. यह बात भी सच है कि प्रमोद सिंह की हत्या के बाद कोयलांचल की माफियागिरी की दिशा और दशा बदल गई. धनबाद के दो मजबूत घराने 'सिंह मैंशन ' और 'रामायण निवास' (स्व सुरेश सिंह का घर) इस केस में उलझे तो उलझते चले गए.
प्रमोद सिंह यूपी के डॉन बृजेश सिंह के रिश्तेदार थे
प्रमोद सिंह यूपी के डॉन बृजेश सिंह के रिश्तेदार थे. वह धनबाद और यूपी में बृजेश सिंह के कोयले का काम को देखते थे. धनबाद में भी धीरे -धीरे कोयला कारोबारियों में उनकी गिनती होने लगी थी कि अचानक 3 अक्टूबर '2003 को धनबाद के धनसार स्थित उनके आवास के पास गोलियों से उनको भून दिया गया. बताते हैं कि प्रारंभिक जांच में पुलिस ने इस हत्याकांड में सिंह मैंशन के रामाधीर सिंह और उनके भतीजे राजीव रंजन सिंह (स्व सूर्यदेव सिंह के पुत्र) को आरोपी बनाया.
हत्याकांड राजीव रंजन सिंह के लिए काल बन गया
आरोप लगने के बाद राजीव रंजन सिंह धनबाद से अकेले ही कोलकाता के लिए निकले. लेकिन कोलकाता जाना उनके लिए काल बन गया. आज तक उनका कुछ भी पता नहीं चला है. दोनों घरों की अदावत में ही सुरेश सिंह की भी हत्या हो गई. हत्या का आरोप रामाधीर सिंह के बेटे शशि सिंह पर लगा, जो उसके बाद से ही फरार है. इसके बाद 2008 में बृजेश सिंह को दिल्ली की स्पेशल सेल ने भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया था. लोग बताते हैं कि बृजेश सिंह को पहचानने में स्पेशल सेल को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी.
सूर्यदेव सिंह के रहते बिहार, यूपी के बाहुबली ताकते तक नहीं थे
यहां यह भी बता दें कि झरिया के विधायक रहे स्वर्गीय सूर्यदेव सिंह जब तक जीवित रहे, धनबाद -झरिया में बाहर राज्य अथवा जिले के बाहुबलियों को साहस नहीं होता था कि धनबाद में वह कदम रखें, लेकिन उनके निधन के बाद यूपी के ही नहीं, बिहार के बाहुबली ने भी धनबाद की ओर रुख किया और कोयले के कारोबार में हिस्सेदारी लेने लगे. कई तो कोयले का काम भी करने लगे. इसको लेकर कई बार तनातनी भी हुई ,एक समय था जब कोयले के खेल में ताबड़तोड़ हत्याएं होने लगी थी. धनबाद के कोयला कारोबारी मनोहर सिंह की हत्या तो लखनऊ में की गई थी.
साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपी हुए बरी
उल्लेखनीय है कि धनबाद के बहुचर्चित प्रमोद सिंह हत्याकांड में 18 साल बाद शुक्रवार को न्यायालय ने अपना अहम फैसला सुनाया. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने कांड के सभी छह आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. प्रमोद सिंह हत्याकांड में कांग्रेस नेता रणविजय सिंह, संतोष सिंह और सरायढेला के तत्कालीन थाना प्रभारी एमपी खरवार के अलावा तीन अन्य आरोपी ट्रायल फेस कर रहे थे.
तीन अक्तूबर '2003 को हुई थी प्रमोद सिंह की हत्या
यूपी के डॉन बृजेश सिंह के रिश्तेदार प्रमोद सिंह की हत्या तीन अक्तूबर 2003 को धनसार थाना क्षेत्र के बीएम अग्रवाल कॉलोनी में गोली मारकर कर दी गई थी. प्रमोद सिंह सुबह वाराणसी से ट्रेन से लौट कर अपने घर धनसार जा रहे थे. घर से थोड़ी ही दूरी पर हमलावरों ने उन पर गोलियां बरसाई थी. घटना के बाद सुरेश सिंह (अब मृत), रणविजय सिंह तथा संतोष सिंह ने घायल प्रमोद को तत्काल केंद्रीय अस्पताल लाया था, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. मृतक प्रमोद सिंह के कथित मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर सिंह मेंशन के रामधीर सिंह तथा उनके भतीजे राजीव रंजन सिंह को नामजद आरोपी बनाया गया था. पुलिस ने प्राथमिकी के समर्थन में कांग्रेस नेता सुरेश सिंह, रणविजय सिंह और संतोष सिंह का धारा 164 के तहत बयान भी कराया था.
सीबीआई की क्राइम ब्रांच की टीम ने किया था अनुसंधान
सीबीआई की क्राइम ब्रांच की टीम ने इस मामले का अनुसंधान किया था. सीबीआई के इंस्पेक्टर मुकेश शर्मा ने मामले का अनुसंधान कर रामाधीर सिंह को क्लिनचिट देते हुए नौ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दी थी. इसमें तीन आरोपी सुरेश सिंह, सैयद मोहम्मद अख्तर उर्फ खड़क सिंह और कश्मीरा खान की मृत्यु ट्रायल के दौरान हो चुकी है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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