टीएनपी डेस्क (TNP DESK): किसी चढ़ान पर आप अपनी कार को पार्क कर दें और न्यूट्रल करके छोड़ दें, तो क्या होगा। जाहिर है, अगर आपने चक्के के नीचे ओट नहीं लगाई है तो कार नीचे ढलने लगेगी। लेकिन अगर कार अपने आप चढ़ाई पर चढ़ने लगे तो आप भूत-भूत चिल्लाते हुए कार छोड़ भाग ही खड़े होंगे। लेकिन आपको भागने की कोई जरूरत नहीं है। दरअसल छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला में ऐसी ही एक जगह है मैनपाट का बिसरपानी। यहां सिर्फ कार ही अपने आप चढ़ान की ओर नहीं बढ़ने लगती है, बल्कि पानी भी उल्टा बहने लगता है यहां पानी नीचे से ऊपर की तरफ बहता है।

धरती नहीं झूला हो जैसे

कभी पार्क गए हों आप या किसी मेला में बच्चों के साथ पहुंचे हों, तो बच्चे तरह-तरह के झूले के अलावा लोहे के जाल से घिरे एक रिंग में जाने को उतावले हो जाएंगे। इसे Trampoline कहते हैं। जिसमें बच्चे जैसे ही उछलते हैं, सरफेस उन्हें और उछाल देती है। यहीं हाल है मैनपाट के दलदली का। यहां की जमीन मानो स्पंज की बनी हो। लोग यहां उछलकूद करते हैं और जमीन भी रबर की तरह उछलती है। यह जगह अंबिकापुर से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर है। बिना भूकंप के हिलने वाली दलदली की धरती करीब ढाई एकड़ में फैली है।

गीत गाया पत्थरों ने

झारखंड के गढ़वा जिला का पड़ोसी है सरगुजा इलाका। छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से मशहूर मैनपाट में ऐसे कई अजूबे हैं, चलिये अब आपको गुनगुनाते-गाते पत्थरों से परिचय कराते हैं। जिसे देखकर आपको सन 64 में आई जितेंद्र की फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने’ की याद आ जाएगी। छिंदकालो गांव में स्थित इस चमत्कार को ठिनठिनी पत्थर कहा जाता है। अंबिकापुर से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर दरिमा हवाई पट्टी है। जिसके पास ही यह चट्टान है। इससे किसी दूसरे पत्थर से टकराने पर एक मधुर ध्वनि निकलती है।