रांची(RANCHI): झारखंड में माओवादियों पर जल्द बड़ा वार होने वाला है. सुरक्षा बलों की तैयारी पूरी है. जिस तरह से छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई हुई है. उसी तरह से नई रणनीति के तहत झारखंड में भी एक्शन देखने को मिलेगा. खास कर सारंडा इलाका में माओवादियों के खात्मे को लेकर कार्रवाई होने वाली है. स्पेशल अभियान के लिए DGP ने बैठक कर रणनीति बनाई है. साथ ही चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है. जिससे सारंडा के जंगल को नक्सलियों के आतंक से मुक्त कराया जा सके.
जंगल में एक्सपर्ट है जगुआर
देखे तो सारंडा में नक्सली नेता मौजूद है. जिनपर करोड़ों का इनाम है. बूढ़ा पहाड़ के बाद सबसे सेफ जोन यही इलाका है. ऐसे में चुनौती भी बड़ी है. लेकिन चुनौती से निबटने के लिए जवान तैयार है. झारखंड जागुआर, कोबरा, CRPF और जिला पुलिस ने जंगल की मैपिंग कर लिया है. जंगल को कैसे घेरना है और कैसे कार्रवाई करनी है. एक ऐसी दबिश हो जिससे नक्सलियों पर जोरदार प्रहार किया जा सके. इसमें सबसे बड़ी भूमिका झारखंड जगुआर की है. जंगल वार की स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है. जिसका फायदा नक्सलियों से लोहा लेने में हो रहा है.
2022 से अभियान जारी,इन इलाकों में सिमटे नक्सली
वर्ष 2022 से लगातार संयुक्त अभियान गोईलकेरा थानान्तर्गत ग्राम कुईड़ा, छोटा कुईड़ा, मारादिरी, मेरालगड़ा, हाथीबुरू, तिलायबेड़ा बोयपाईससांग, कटम्बा, बायहातु, बोरोय, लेमसाडीह के सीमावर्ती क्षेत्र तथा टोन्टो थानान्तर्गत ग्राम हुसिपी, राजाबासा, तुम्बाहाका, रेगड़ा, पाटातोरब, गोबुरू, लुईया के सीमावर्ती क्षेत्र में चल रहा है. इस अभियान में अब तक कई बड़ी कामयाबी मिली है. जिस जंगल में माओवादी छुप कर बैठे थे. जहां युद्ध की पूरी तैयारी थी वहाँ जवानों ने कब्जा कर लिया. 16 बंकर बना पर कब्जा कर लिया है. IED और अन्य नक्सली समान जब्त किया गया. जिससे नक्सलियों की कमर टूट गई. और नक्सली जंगल के पीछे भागने को मजबूर हो रहे है.
तीन एक करोड़ के इनामी सारंडा
ऐसे में बात करें तो एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा,एनल दा और असीम मण्डल शामिल है. जिसपर झारखंड पुलिस ने एक करोड़ का इनाम रखा है. इसके अलावा 62 ऐसे नक्सली है जिनपर 01 लाख से लेकर 25 लाख तक इनाम है. कई कुख्यात माओवादियों ने आत्म समर्पण भी कर दिया. तो कई मुठभेड़ में मारे गए है.
जंगल में बिछा है बारूदी जाल
अब वापस से बात चुनौती पर करेंगे. झारखंड के सबसे घने जंगल में सारंडा का जंगल है. जहां कदम कदम पर पुलिस के लिए चुनौती है. पहले तो जंगल को नक्सली बहुत अच्छे से समझते है और जवान के लिए जंगल नया है. ऐसे में जंगल में एक गलत कदम भी जवानों के जान पर आफत जैसा होता है. क्योंकि कोल्हान के जंगल में हर तरफ बारूदी जाल बिछा है. IED की चपेट में आने से कई जवान शहीद हो चुके है. ऐसे में फूंक फूंक कर कदम रखना पड़ता है. इसके अलावा जंगल में जंगली जानवर से भी खतरा बना रहता है. इस चुनौती से निबटने के लिए जवान जब अभियान पर निकलते है तो उनके आगे बम निरोधक दस्ता मौजूद होता है. जिससे वह जमीन के अंदर लगे बारूदी सुरंग और IED को नष्ट करते है.
छत्तीसगढ़ के जैसा होगा अभियान
हाल में छत्तीसगढ़-तेलंगाना और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों में कार्रवाई जारी है. जिसमें 10 हजार जवान एक साथ कार्रवाई करने में लगे है. जिससे नक्सलियों का सेफ जोन बना कुरेगुट्टा पहाड़ पर सफाई का अभियान चल रहा है. हेलिकाप्टर से कार्रवाई हो रही है. बस्तर फाइटर और DRG जवान आक्रामक कार्रवाई कर रहे है जिससे नक्सलियों को खड़ा होने का जरा भी समय नहीं देते है. ऐसी कार्रवाई करते है कि एक बड़ी चोट पहुँचती है. इसी का नतीजा है कि छतीसगढ़ में अब नक्सली खत्म होने वाले है.
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