धनबाद(DHANBAD): सीएमपीएफओ  एक बार फिर प्रभार में चलेगा.  कोल्  कंट्रोलर साजिश कुमार एन  को  सीएमपीएफओ के आयुक्त  की जिम्मेदारी दी गई है.  स्थाई आयुक्त की नियुक्ति होने या अगले आदेश तक वह इस पद पर बने रहेंगे.  इस संबंध में कोयला मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी विजय शर्मा के हस्ताक्षर से अधिसूचना जारी होने के बाद उन्होंने  आयुक्त की जिम्मेदारी संभाल ली  है.  सीएमपीएफओ के वर्तमान आयुक्त  बीके मिश्रा अपने मूल कैडर इंडियन इंजीनियरिंग सेवा में वापस लौट गए है.  उन्हें अप्रैल 2022 में सीएमपीएफओ  का आयुक्त  बनाया गया था.  वह 30 मई  2025 को सेवानिवृत हो रहे है.  यानी एक बार फिर सीएमपीएफओ प्रभार में चलेगा. 

कब से कब तक यह संस्था रही प्रभार में 

बता दे कि  2012 से 2015 तक कोल कंट्रोलर अमृत आचार्या प्रभारी कमिश्नर रहे. फरवरी 2015 से मई 2015 तक कोयला मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार अनिमेष भारती प्रभारी कमिश्नर रहे. मई 2015 में बीके पंडा को स्थायी कमिश्नर नियुक्त किया गया. जून 2017 में उनका  तबादला हुआ और अनिमेष भारती को पुनः कमिश्नर का प्रभार मिला. फरवरी 2022 में उनसे  प्रभार लेकर बीसीसीएल के सीएमडी समीरन दत्ता को  सीएमपीएफओ कमिश्नर का प्रभार दिया गया. 15 अप्रैल 2022 को वीके मिश्रा को स्थायी कमिश्नर नियुक्त किया गया. अब फिर 30 अप्रैल 2025 से सीएमपीएफओ प्रभारी कमिश्नर की देखरेख में चलेगा.  सीएमपीएफओ यानी कोयला खान भविष्य निधि संगठन में कथित रूप से डूबे  727 करोड़ रुपए से अधिक का मुद्दा अभी भी सवाल बना हुआ है.  दूसरी ओर  नई दिल्ली में अभी हाल ही में हुई बैठक में   फंड मैनेजर के तौर पर भारतीय स्टेट बैंक और यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया को नामित करने पर मुहर  लगी. 

अभी हाल ही में हुई है फंड मैनेजरो की नियुक्ति 
 
सूत्रों के अनुसार दोनों फंड मैनेजर 50 -50% निवेश करेंगे.  बैठक की अध्यक्षता कोयला सचिव ने की थी.   बैठक में सीएमपीएफओ के आयुक्त ,एडिशनल सेक्रेटरी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे.  मतलब अब भारतीय स्टेट बैंक और यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया सीएमपीएफओ के फंड को मजबूत करेंगे.  हाल के दिनों में सीएमपीएफओ काफी चर्चे में रहा है. देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया में कोयले का उत्पादन बढ़ता गया और कोयलाकर्मियों के लिए बने  कोयला खान भविष्य निधि संगठन  में  ब्याज दर लगातार घटती गई.  कोयलाकर्मियों को जमा राशि पर कम ब्याज मिल रहा है.  दरअसल, 2000 में कोयलाकर्मियों को 12% की दर से ब्याज मिलता था.  जो घटते- घटते अब 2025 में 7.6 0% हो गया है. 2024 में भी  7.6 0% ही था. जबकि उसके पहले के वर्ष में अधिक था.  कोयलाकर्मियों को प्रोविडेंट फंड पर मिलने वाले  ब्याज की दर बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में तय होती  है.  इसके अध्यक्ष कोयला सचिव होते है.  ज्यादातर सदस्य सरकार के अधिकारी या उनके मनोनीत प्रतिनिधि होते है. 
 
ब्याज दर का निर्धारण बहुमत के आधार पर होता है
 
ब्याज दर का निर्धारण बहुमत के आधार पर होता है.  इसमें ट्रेड यूनियन के चार प्रतिनिधि भी बैठते है.  यही वजह है कि यूनियन के बहुत विरोध का असर बैठक में नहीं हो पाता .  कोयलाकर्मियों के मूल वेतन से 12 फ़ीसदी राशि कटती  है.  उतनी प्रतिशत राशि कोयला कंपनिया  देती है. बताया जाता है कि सरकार कोयलाकर्मियों का पैसा शेयर में लगाती  है.  मजदूर संगठन इसका विरोध करता रहा है.  शेयर में पैसा डूबने का असर कोयलाकर्मियों की आय  पर पड़ता है.  यही वजह है कि एक समय 12% तक ब्याज मिलता था, जो आज घटकर 7.60% हो गया है.   कोयला खान भविष्य निधि संगठन की स्थापना भारत सरकार के श्रम और नियोजन मंत्रालय के अधीन हुई थी. जिसका उदेश्य अंशदाता का हित सुनिश्चित करना था. संसद से पारित अधिनियम के तहत CM PF miscellaneous rules, 1948 बना था. जिसके तहत इस संगठन को अधिकृत किया गया था कि नियोक्ता अगर अंशदाता से काटी गई राशि को समय पर CMPF0 में जमा नहीं करता है, तो नियोक्ता को दंडित कर सकता है. किंतु श्रम और रोजगार मंत्रालय से कोयला मंत्रालय में आने के बाद यह संस्था शक्तिविहीन हो गई है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो