टीएनपी डेस्क(TNP DESK): टाटा इंडिया का सबसे विश्वसनीय उद्योग घराना है, जिस पर देश के लोगों के साथ विदेशी लोगों को भी अटूट विश्वास है, ये ऐसी कंपनी है, जो 20 रुपये के नमक से लेकर करोड़ों रुपये की गाड़ी तक का व्यपार करती है, इस कंपनी का इतिहास लगभग 150 साल पुराना है,इसका गौरवशाली इतिहास है, वहीं वर्तमान में ये टाटा ग्रुप कंपनी बहुत ही अच्छे फोर्म में रन कर रही है, 21 हजार रुपये से शुरु होनेवाली टाटा कंपनी आज 24 लाख करोड़ तक पहुंच गई है,लेकिन 150 साल का ये सफर इतना आसान नहीं है, इसके पीछे एक व्यक्ति की कड़ी मेहनत और लगन हैं, वो हैं टाटा ग्रुप के गॉडफादर जमशेदजी टाटा जिन्होने 1870 के दशक में टाटा ग्रुप कंपनी की साम्राज्य की नींव रखी.   

29 साल की उम्र में 21 हजार रुपये से बॉम्बे में एलेक्जेंड्रा मिल की स्थापना की

  टाटा ऐसी कंपनी है, जिसके बारे लगभग हर किसी को जानकारी है, क्योंकि जाने या अनजाने में सभी इस कंपनी के प्रोडक्ट उपयोग करते है, लेकिन बहुत से लोग इस कंपनी के पीछे की कहानी, संघर्ष और इसके पीछ के रियल हीरो के बारे में नहीं जानते होंगे, तो आज हम आपको टाटा कंपनी के हर उस पहलू से आपको रुबरु करायेंगे, जिससे आप अनजान है. आपको बताये कि टाटा कंपनी के मालिक जमशेद जी टाटा ने इस कंपनी की शुरुआत 1870 में की थी,   जमशेद जी टाटा मुख्य रुप से गुजरात के रहनेवाले थे, इनका जन्म गुजरात के नवसारी में हुआ था.उन्होने 29 साल की उम्र में महज 21 हजार रुपये की छोटी रकम से बॉम्बे में एलेक्जेंड्रा मिल की स्थापना की, लेकिन आगे उनके सामने कई परेशानियां और कठिनाईयां आई, जिसका उन्होने डटकर सामना किया, और अपनी मेहनत से भारत में औद्योगिक क्रांति ला दी.    

टाटा कंपनी का नींव रखनेवाले जमशेदजी टाटा पर उनके पिता का गहरा प्रभाव था

  टाटा कंपनी का नींव रखनेवाले जमशेदजी टाटा पर उनके पिता का गहरा प्रभाव था, क्योंकि उनके पिता नुसरवानजी टाटा ने बिजनेस फैमली से नहीं होते हुए भी बिजनेस में उतरने का फैसला किया, जमशेद मुख्य रुप से पारसी परिवार से थे, जिनका खानदानी काम पुजारी का था, लेकिन पिता को ये काम मंजूर नहीं था, वो बिजनेस में कुछ बड़ा करना चाहते थे, जब जमशेद जी के पिता पारिवारिक परंपरा को तोड़कर आजे बढ़ें, तो इसका प्रभाव युवा जमशेदजी पर गहरा हुआ.अपने पिता के लगन और संघर्ष को देखते हुए जमशेदजी बड़े हुए, वहीं जब वो 29 साल के हुए तो अंग्रेजों के शासन के चलते हताश हो गये,लेकिन हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे.जिसका परिणाम हुआ कि टाटा ग्रुप का बिजनेस साम्राज्य आज 29 कंपनियों का संचालन करता है.  

जमशेदजी के बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा ने 1904 में टाटा समूह के दूसरे अध्यक्ष बनाये गये

  आपको बताये कि जमशेदजी ने एम्प्रेस मिल्स में कर्मचारियों को भत्ते देना शुरू किया, जिसकी वजह से टाटा ग्रुप की पहचान एम्पलाइ वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के रुप में हुई. जमशेदजी ने 1880 से 1904 तक आखिरी सांस तक टाटा ग्रुप को खड़ा करने में लगे रहे, अपने जीते जी उन्होने  शैक्षणिक संगठन से लेकर स्टील और मोटर इंडस्ट्री स्थापित कर चुके थे.वहीं इसके बाद जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा ने 1904 में टाटा समूह के दूसरे अध्यक्ष बनाये गये, इनके नेतृत्व में भी टाटा ग्रुप ने काफी तरक्की की, वहीं इसके साथ ही देश के विकास में कई योगदानों दिया. जिसमे टाटा स्टील और टाटा पावर की स्थापना शामिल है,वहीं  सर दोराबजी टाटा ने सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की भी स्थापना की जिसकी वजह से टाटा परोपकार की परंपरा का जन्म हुआ.  

सर नौरोजी टाटा ने 1889 में टाटा के कर्मचारी के रूप में अपनी यात्रा की शुरूआत की  

वहीं सर दोराबजी टाटा के बाद टाटा कंपनी ग्रुप की बागडोर सर नौरोजी टाटा को सौंपी गई.जो टाटा समूह के तीसरे अध्यक्ष बनाये गये. सर नौरोजी टाटा ने 1889 में टाटा के कर्मचारी के रूप में अपनी यात्रा की शुरूआत की, जिसके लंबे समय के बाद सर नौरोजी को साल 1932 में टाटा समूह के अध्यक्ष का पद सौंपा गया.आपको बताये कि सर नौरोजी कर्मचारी कल्याण के उत्साह से प्रेरित थे, वह चाहते थे कि कर्मचारी कंपनी की समृद्धि को साझा करें, इसलिए, उन्होंने एक लाभ-साझाकरण योजना शुरू की,वहीं सर नौरोजी खेलों के भी शौकिन थे, जिसमे सबसे पसंदीदा क्रिकेट था. सर नौरोजी टाटा ने कई संस्थाओं के निर्माण में मदद की जिसमे क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया भी शामिल है.इन्होने ने भी अपने कर्तव्य को बखूबी निभाया, और कंपनी को उंचाई पर ले गये.

जेआरडी. टाटा को 1938 में टाटा समूह का अध्यक्ष बनाया गया  

वहीं इसके बाद जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा को कंपनी की जिम्मेदारी सौंपी गई, इनकी खासियत थी कि ये वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस प्राप्त करनेवाले पहले भारतीयों में से एक थे. जेआरडी. टाटा को 1938 में टाटा समूह का अध्यक्ष बनाया गया.इनको जब पंकनी की बोगडोर सौंपी गई तो वो कंपनी के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने, वहीं सबसे लंबे समय तब समूह की सेवा करने वाले अध्यक्ष भी बने. जेआरडी टाटा ने 50 सालों से अधिक सालों तक कपंनी का नेतृत्व किया.जिनकी देन भारत की कई प्रमुख संस्थाएं है.जिसमे टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल टीएमएच, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज नेशनल सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्ट्स इन इंडिया खोलने में मदद की शामिल है.

जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा के बाद रतन टाटा को टाटा समूह का पांचवां अध्यक्ष बनाया गया

वहीं जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा के बाद रतन टाटा को 1991 में टाटा समूह का पांचवां अध्यक्ष बनाया गया.जो आज भी 2024 तक वर्तमान एमेरिटस अध्यक्ष है. रतन टाटा 1962 में एक सहायक के रूप में कंपनी में शामिल हुए और अपने तरीके से काम किया.जिस समय रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष का पद संभाला उस समय तक टाटा कंपनी असमान रूप से प्रबंधित और नौकरशाही था, जिसके बाद रतन टाटा ने टाटा कंपनी का कायाकल्प कर दिया. जैसी आज टाटा कंपनी है. रतन टाटा ने कई हाई-प्रोफाइल अधिग्रहण भी किए, जिसमे जगुआर लैंड रोवर, जगुआर लैंड रोवर, टेटली, कोरस, और देवू शामिल है.

नटराजन चंद्रशेखरन की अगुवाई में टीसीएस भारत की सबसे मुनाफे में चलनेवाली कंपनी है

वहीं रतन टाटा के बाद नटराजन चंद्रशेखरन को 2017 में टाटा समूह का अध्यक्ष बनाया गया. ये पहले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के मुख्य परिचालन अधिकारी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे, वहीं इसके साथ नटराजन चंद्रशेखरन टाटा समूह कंपनी का  नेतृत्व करनेवाले पहले गैर-पारसी और पेशेवर कार्यकारी हैं. इनके नेतृत्व में टीसीएस भारत की सबसे मुनाफे में चलनेवाली मूल्यवान कंपनी बनी हुई है, और यूके में नंबर 1 आईटी कंपनी भी बन गई है.

  वर्तमान में टाटा ग्रुप 29 कंपनियों का संचालन करती है

  टाटा ग्रुप कंपनी मुनाफे में रन करने के साथ सामाजिक मुद्दों पर भी बराबर ध्यान देती है और ना सिर्फ बिजनेस बल्कि तकनीकी शिक्षा को भी बढ़ावा देती है, जिसकी वजह से टाटा दुनिया की एक ऐसी कंपनी बन गई, जो पूरी दुनिया के दिलों पर राज करती है.टाटा दुनिया की एकमात्र ऐसी कंपनी है, जिसने सबसे पहले अपनी कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों को भत्ता देने की शुरुआत की थी,इस कंपनी में काम करना हर युवा का सपना होता है, क्योंकि जितना ख्याल टाटा कंपनी अपने कर्मचारियों को रखती है,शायद ही कोई प्राईवेट कंपनी रखती होगी, वहीं इस कंपनी के आगे लोग सरकारी नौकरी को भी अहमियत नहीं देते है, क्योंकि टाटा कंपनी अपने मुनाफे के साथ अपनी कपंनी के छोटे से छोटे कर्मचारी का ख्याल रखती है.आज की तारीख में टाटा ग्रुप 29 कंपनियों का संचालन करती है.जिसमे टाटा मोटर्स, टाटा मोटर्स, वोल्टास, टाटा कम्युनिकेशन, टाटा एलेक्सी, टीसीएस, टाइटन, टाटा पावर, टाटा केमिकल्स शामिल है.