टीएनपी डेस्क(TNP DESK): भारत की वो राजनेता जिनका राजनीतिक जीवन ही नहीं बल्कि उनकी प्रेम कहानी भी किसी हिंदी फिल्म की लव स्टोरी से कम नहीं है. जब एक ही कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के-लड़कियां एक दूसरे को दिल दे बैठते हैं. वैसी ही कहानी थी सुषमा के प्यार की. उस वक्त सुषमा चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में थी. और यहीं से सुषमा और उनके पति स्वराज कौशल के प्यार की दास्तां की कहानी शुरू होती है. सुषमा की मुलाकात पहली बार पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के लॉ डिपार्टमेंट में स्वाराज कौशल से हुई थी. वो उस वक्त देश के सबसे युवा एडवोकेट जनरल थे. और यहीं से दोनों के मुलाकातों का दौर शुरू हुआ.
मुलाकातों के तौर बढ़ा, प्यार हुआ और प्यार धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगा. जिसके बाद दोनों ने शादी करने फैसला लिया. हालांकि आगे दोनों की कहानी उतनी आसान नहीं रही, जितनी अभी तक उनके प्यार का परवान चढ़ता रहा. दरअसल, सुषमा के मां-पापा इस शादी के लिए राजी नहीं थे. क्योंकि वो दौर तब का था जब शादी के दौरान बेटियों को पर्दे के पीछे रखा जाता था. इस दौर में प्रेम विवाह करना तो दूर की बात थी. शादी से पहले लड़की होने वाले दूल्हे की शक्ल भी नहीं देखती थी. हालांकि सुषमा ने काफी हिम्मत दिखाई और जैसे-तैसे कर परिवार को मना लिया और 13 जुलाई 1975 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए. ये कोई आम सुषमा की कहानी नहीं थी बल्कि भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज की कहानी थी. सुषमा की एक बेटी भी है जो पेशे से वकील है.
सुषमा स्वराज और उनके पति के बीच कितना प्रेम था, इसका नजारा दुनिया ने एक बार फिर देखा जब उन्होंने कहा था कि वह सक्रिय राजनीति छोड़ना चाहती हैं क्योंकि वह अपने पति के साथ अधिक समय बिताना चाहती हैं. उनके इस फैसले पर उनके पति स्वराज कौशल के जवाब ने इंटरनेट पर लोगों का दिल जीता लिया था. उन्होंने लिखा "आपके किसी भी चुनाव को न लड़ने के फैसले के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मुझे याद है कि एक समय ऐसा भी आया था जब मिल्खा सिंह ने भी दौड़ना बंद कर दिया था." आखिरकार 6 अगस्त को उनकी मृत्यु से कुछ दिन पहले ही दोनों ने अपनी 44 साल की शादी का जश्न मनाया. और अंतत: 6 अगस्त 2019 को उनकी मौत हो गई. आज उनकी तीसरी पुण्यतिथि है.
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सुषमा स्वराज का राजनीतिक सफर
भाजपा की दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री रहीं सुषमा स्वराज की आज तीसरी पुण्यतिथि है. उनका जन्म 14 फरवरी 1952 में हरियाणा के अंबाला छावनी में हुआ था. सुषमा एक बेहतरीन राजनेता के साथ-साथ प्रखर वक्ता भी थी. उन्होंने बतौर विदेश मंत्री रहते ऐसे-ऐसे काम किये है, जिसके लिए उन्हें आज भी लोग प्यार से ‘सुपरमॉम’ कहते है. सुषमा स्वाराज सोशल मीडिया में काफी एक्टिव रहती थी. सोशल मीडिया के जरिए ही उन्होंने कितने भारतीयों की मदद की थी. मोदी मंत्रिमंडल के कार्यकाल के दौरान वो विदेश मंत्री थी. इस दौरान उनका एक भाषण काफी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भारतीयें मंगल ग्रह पर भी फंस गए हैं तो भी भारतीय दूतावास आपकी मदद के आगे आएगा. सुषमा स्वराज ने बतौर विदेश मंत्री रहते कितने लोगों की वतन वापसी करायी. वॉशिंगटन पोस्ट ने सोशल मीडिया पर लोगों की गुहार सुनने और उनकी मदद करने के कारण उन्हें सुपरमॉम का नाम दिया था.
किस-किस पद पर रहीं सुषमा स्वाराज
- साल 1973 में महज 21 साल की उम्र में सुषमा ने देश की सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता के रूप में कार्य करने लगी थीं.
- सुषमा स्वराज के नाम महज 25 साल की आयु में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकार्ड दर्ज है.
- महज 27 वर्ष की उम्र में वह हरियाणा में भाजपा की प्रदेश इकाई की अध्यक्ष भी बनी.
- साल 1990 में सुषमा पहली बार राज्यसभा और 1996 में पहली बार 11वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं.
- दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में सुषमा को केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था.
- सुषमा को दिल्ली की प्रथम महिला CM बनने का भी गौरव प्राप्त है.
कॉपी: विशाल कुमार, रांची
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