रांची : झारखंड में लोकसभा चुनाव 2024 का सियासी संग्राम छिड़ गया है. तपती गर्मी में सियासी संग्राम की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दो दिवसीय दौरे से कर दी है. पीएम मोदी ने चाईबासा, पलामू और सिसई में जनसभा कर वोटरों को रिझाने की कोशिश की. अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी सात मई को आने वाले हैं. राहुल गांधी भी 13 मई को होने वाले मतदान से पहले झारखंड के चार लोकसभा सीटों में जनसभा को संबोधित करेंगे. इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में मतदाताओं से वोट की अपील करेंगे. आने वाले दिनों में राज्य में कई दिग्गज नेता सियासी संग्राम में शामिल होंगे.
लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां भाजपा ने समीर उरांव को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने सुखदेव भगत को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट से झामुमो के बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रीकोणीय होने के आसार हो गया है. यहां बता दें कि इस सीट से सुदर्शन भगत लगातार तीन बार सांसद चुने गये, लेकिन इस बार इनका पत्ता काटकर समीर उरांव टिकट दे दिया. चुकि इस क्षेत्र के मतदाता सुदर्शन भगत से नाराज चल रहे थे, इसी वजह से बीजेपी ने उम्मीदवार बदल दिया. लेकिन जानकारी मिल रही है वो ये है कि यहां के मतदाता अभी भी भाजपा से नाराज हैं.
पूरे देश में अभी चुनाव का माहौल है तो जाहिर सी बात है इस पर चर्चा होगी ही. ऐसी चर्चा लोहरदगा संसदीय क्षेत्र में भी हो रही है. शहर से लेकर गांव, मुहल्लों और बाजार में चुनाव पर चर्चा हो रही है. राजनीति के जानकार लेकर रोजमर्रा की जीवन जीने वाले आम जनता भी गुना गणित कर रहे हैं. वोटरों का मानना है कि पहले लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में कुछ दिनों पहले तक कांग्रेस उम्मीदवार सुखदेव भगत व बीजेपी प्रत्याशी समीर उरांव के बीच मुकाबले थी. वहीं बिशुनपुर विधानसभा से जेएमएम विधायक चमरा लिंडा के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने से मुकाबला और रोचक हो गया है. चमरा के जनसभा के बाद क्षेत्र में एक तरह से चर्चा गर्म हो गई है
लोगों का मानना है कि भाजपा पीएम मोदी का सहारा लेकर जीत का ताल ठोक रही है. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार संविधान बचाने, आदिवासियों की हित व रक्षा के साथ-साथ सरना कोड लागू करवाने को मुद्दा बना रही है. निर्दलीय विधायक चमरा लिंडा का भी कमोबेश यही मुद्दा है. चमरा भी सरना कोड, आदिवासी के हितैषी होने का दावा कर रहे हैं, और तानाशाही सरकार पर हमला बोल रहे हैं. ऑफ द कैमरा कुछ मतदाताओं ने कहा कि भाजपा मजदूर, किसान व आम जनता को बेवकूफ बना रही है. भाजपा मुफ्त अनाज, किसान के खाते में छह हजार रुपए दे रही, ताकि कोई भी भी लोग इससे ऊपर न उठ सके. लोगों का कहना है कि समीर उरांव जब से उम्मीदवार बने हैं तभी से वे एक्टिव दिख रहे हैं, उससे पहले वे कभी दिखाई भी नहीं दिए. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के प्रति भी मतदाताओं में नाराजगी है, लेकिन उनके साथ खड़े होते दिख रहे हैं.
निर्दलीय उम्मीदवार चमरा लिंडा को लेकर लोगों का मानना है कि वह सिर्फ अपनी हित के लिए मैदान में उतरे हैं. जबकि विधायक रहते कभी भी आदिवासियों की हित को लेकर कोई काम नहीं किया. लेकिन लोगों का मानना है कि आदिवासी, पठान और अंसारी चमरा के साथ हो सकता है. कुल मिलाकर कहा जाए तो मतदाताओं में असमंजस की स्थिति है. लोहरदगा में बेशक तीन उम्मीदवारों में टक्कर होगी, लेकिन मतदाताओं का रुझान अपने आप में एक बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है.
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