सारिका भूषण, इंफाल से:
आज की यायावरी में सबसे पहले झिलमिल - झिलमिल बरखा की बूँदों ने झरने की संगीत के साथ स्वागत किया. फिसलन वाली पथरीली सीढ़ियों पर चढ़ते हुए जब हम इम्फ़ाल के प्रसिद्ध सादू चिरु जलप्रपात पहुँचें तब सारी थकान वहाँ के विहंगम दृश्यों ने दूर कर दिया …ठंढी हवाएँ ,पत्तियों और झरने का संगीत और बारिश की मीठी फुहार ….. भींगते हुए मोबाइल से कुछ तस्वीरें लेना .. बस और क्या चाहिए एक ख़ुशनुमा दिन को यादगार बनाने के लिए.
आई एन ए मेमोरियल , कंगला किला , शहीद मिनार , गोविंदजी मन्दिर और अंत में एशिया का सबसे बड़ा महिला बाज़ार इमा मार्केट में ख़रीददारी …. सच ! पूरा दिन रोमांच से भरा रहा. हाँ! रास्ते में रुककर मीठे-मीठे अनन्नास खाना कभी नहीं भूल सकती जिसपर मेरी नज़र शहर में घुसते ही पड़ी थी. यहाँ के अनन्नास का स्वाद मैं शब्दों में नहीं बयां कर सकती. इसीलिए तो पाँच अनन्नास अपनों के लिए ख़रीद कर ले जा रही हूँ. यहाँ के स्थानीय फल और भोजन का स्वाद आपने यदि नहीं चखा तो आप शहर को करीब से नहीं जान पाएँगे. आइए! अब इम्फ़ाल शहर को जानते हैं.
उत्तर पूर्वी भारत में पूरी तरह से सिमटा हुआ एक छोटा सा खूबसूरत शहर जो पश्चिम इम्फ़ाल जिला और पूर्व इम्फ़ाल जिला में विस्तारित है. इम्फाल नाम यम्फाल से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'कई गांवों की भूमि.' यहाँ मैदानों से पहाड़ियों को मिलाते हुए दिखने वाला अंतहीन क्षितिज एक रहस्यपूर्ण प्रभाव देता है. इम्फाल आलीशान हरे पहाड़ों से घिरा हुआ है, जो एक किले के रूप में शहर की रक्षा करता है और नयनाभिराम दृश्यों से आपका स्वागत करता है.
सादू चिरु जलप्रपात
मणिपुर की राजधानी इम्फाल से लगभग 25 किमी दूर, सादु चिरू जलप्रपात स्थित है - जो उन सभी प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श आकर्षण है जो मणिपुर में एक सुखद छुट्टी के समय की तलाश करना चाहते हैं. लीमाराम जलप्रपात के रूप में भी सम्मानित, सादु चिरू प्राकृतिक सुंदरता का एक पर्यटन स्थल है. लगभग 300 मीटर की ऊंचाई से कैस्केडिंग, सादु चिरू जलप्रपात पर्यटकों को स्वाद लेने के लिए एक आकर्षक दृश्य बनाता है. इसके अलावा, आसपास में फैले पानी से निकलने वाली धुंध कुछ ऐसी है जो शांति की छवियों को जोड़ती है. जलप्रपात का मार्ग शुरू में जंगल और पर्णसमूह से होकर गुजरता है जो अपने आप में एक रोचक अनुभव देने वाला है.
आईएनए मेमोरियल
भारतीय राष्ट्रीय सेना के सैनिकों को समर्पित मोइरांग में आईएनए मेमोरियल या आईएनए शहीद स्मारक परिसर स्थित है और समर्पित है उन शहीदों को जिन्होंने भारतीय राष्ट्र के लिए अपना बलिदान दिया. यह स्थान भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में भी बहुत महत्व रखता है. कई शहीद सैनिकों की अस्थियाँ परिसर के भीतर दफन हैं. कॉम्प्लेक्स में पत्र, युद्ध से जुड़ी चीजें, कई सैनिकों की तस्वीरें, बैज और बहुत कुछ प्रदर्शित है. आईएनए वार मेमोरियल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कांस्य प्रतिमा, उनकी जीवनी बताती असली चित्र और उनके द्वारा लिखित पत्र एवं पारंपरिक मणिपुरी शैली में निर्मित पत्थर की संरचना, और कई स्वतंत्रता सेनानियों के सामान जैसे विशाल स्मारक देखे जा सकते हैं. यह स्थान आगंतुकों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के साथ जोड़ता है, जो मणिपुर में एक यात्रा स्थल है.
कंगला क़िला
कंगला किला, इंफाल, मणिपुर में गर्व का स्थान है, कंगला पैलेस 17 वीं शताब्दी से आज भी मजबूती से खड़ा है। कंगला मेइती शब्द से आया है, जिसका अर्थ है शुष्क भूमि. एक पुराना महल है. यह इंफाल शहर के केंद्र में लगभग 24 ° N अक्षांश, 94 ° E देशांतर द्वारा स्थित है और यह समुद्र तल से 2,619 फीट (798 मीटर) ऊपर है. यह इंफाल नदी के तट के दोनों ओर (पश्चिमी और पूर्वी) स्थित था। लेकिन अब यह बैंक के पश्चिमी हिस्से में ही रहता है. अब केवल खंडहर ही बचे हैं। कंगला का अर्थ है पुरानी मीटीई में "सूखी भूमि"। यह मणिपुर के अतीत के मीटीई शासकों की पारंपरिक सीट थी.
'कंगला' को मणिपुरियों के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. यह उन सभी मणिपुरियों के लिए तीर्थयात्रा का केंद्र है जो मणिपुर, असम, बंगाल, उत्तर प्रदेश, बांग्लादेश और म्यांमार आदि में निवास करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान पाखंगबा 'कंगला' के अधीन रहते हैं और मणिपुर और ब्रह्मांड राज्य करते हैं। यह भी माना जाता है कि 'कंगला' में 360 महत्वपूर्ण पवित्र / पवित्र स्थान हैं.
कंगला के महल ने मेइती राजाओं के निवास के रूप में भी काम किया है, जिन्होंने मणिपुर पर शासन किया था. बहुत बढ़िया ईंट की दीवारें 1632 ई की जेल का निर्माण करती हैं जब चीनी कैदियों को बंदी बनाकर यहाँ रखा गया था. 1891 में एंग्लो मणिपुर युद्ध में मणिपुरी राजाओं को अंग्रेजों द्वारा पराजित करने के बाद, किले पर सुरक्षा बलों ने कब्जा कर लिया था. आजादी के बाद भी, असम राइफल्स ने किले पर कब्जा कर लिया, और 2004 में इसे राज्य सरकार को सौंप दिया गया.
शहीद मीनार
शहीद मीनार, इम्फाल में बीर टिकेंद्रजीत पार्क में स्थित शहीदों को समर्पित है, जिन्होंने भारत की आजादी मे लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया था. मीती और आदिवासी शहीदों को समर्पित लंबा स्मारक, शहीद मीनार इंफाल शहर के केंद्र में बीर टिकेंद्रजीत पार्क में स्थित है. शहीद मीनार उन सैनिकों की याद में है, जिन्होंने 1891 में एंग्लो-मणिपुर युद्ध में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी.
इमा मार्केट
इमा कीथेल (मां का बाजार), जिसे इमा मार्केट या नुपी कीथेल (महिला बाजार) के रूप में भी जाना जाता है, इंफाल , भारत में विशेष रूप से महिलाओं द्वारा चलाया जाने वाला यह एशिया का सबसे बड़ा महिला बाजार है. यह मणिपुर राज्य में एक वाणिज्यिक केंद्र और एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है. यह कांगला किले के पश्चिम में और थंगल बाजार इलाके में बीर टिकेंद्रजीत रोड पर स्थित है. इस परिसर में पैगोडा और उपनिवेशों के साथ तीन बड़ी इमारतें हैं. बाजार सड़क के दोनों ओर दो हिस्सों में बंटा हुआ है. दो इमारतें मुख्य सड़क के उत्तर में और एक दक्षिण में स्थित हैं. इमारतों को टेक्सटाइल हाउसिंग सेक्शन और घरेलू ग्रोसरी सेक्शन में विभाजित किया गया है.
यह 16वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था और लगभग 5,000-6,000 महिला विक्रेताओं को होस्ट करता है जो विभिन्न प्रकार के उत्पाद बेचते हैं. बाजार में सब्जियां, फल, कपड़ा, खिलौने, मछली, मसाले और बर्तन जैसे उत्पाद उपलब्ध हैं. बाजार में किसी भी दिन लगभग 5000-6000 महिला विक्रेता रहते हैं. कुछ वर्ष पहले बाजार का वार्षिक कारोबार ₹ 40-50 करोड़ के बीच होने का अनुमान लगाया गया था.
बाजार का प्रबंधन बाजार के सभी विक्रेताओं के एक संघ द्वारा किया जाता है. यह केवल उन महिलाओं को स्टाल लगाने की अनुमति देता है जिनकी शादी कम से कम एक बार हो चुकी है. महिला विक्रेताओं में वे शामिल हैं जो तलाकशुदा हैं या मणिपुर में विद्रोह में विधवा हो गई हैं. विक्रेता मुख्य रूप से 45-70 वर्ष की आयु की हैं.
और भी बहुत कुछ है इस शहर , राज्य को जानने के लिए ….और इसके लिए यह शहर आपको खुले दिल से बुलाता है.
(लेखिका रांची में रहती हैं. कवयित्री-कथाकार हैं. एक स्पेस समेत कई किताबें प्रकाशित. इन दिनाें नॉर्थ ईस्ट की यात्रा पर हैं .)
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