धनबाद(DHANBAD) : क्या आप जानते हैं कि धनबाद के पूर्व सांसद पशुपतिनाथ सिंह 1988 में नगरपालिका के अध्यक्ष का भी चुनाव लड़ा था. अपने प्रतिद्वंदी अशोक साव के लिए मुश्किलें पैदा कर दी थी, लेकिन उस समय के विधायक एसपी राय का एक वोट भारी  पड़  गया और पशुपति नाथ सिंह अध्यक्ष का चुनाव हार गए.  इस लड़ाई में वह मात्र एक वोट से हार गए थे और अशोक साहब नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए थे. इस बात की पुष्टि सीनियर पूर्व वार्ड पार्षद निर्मल कुमार मुखर्जी ने भी की है. बता दें कि 1988 में धनबाद धनबाद नगर पालिका के अध्यक्ष का चुनाव भी कम रोचक नहीं हुआ था. अपने पक्ष में वोटिंग के लिए कथित रूप से अशोक साव वार्ड पार्षदों को अपने समर्थकों के साथ कहीं बाहर भेज दिया था. 

नगरपालिका अध्यक्ष की कुर्सी की लड़ाई काफी रोचक हुई थी 

यह लोग वोटिंग के समय ही बैंक मोड़ स्थित नगर पालिका कार्यालय पहुंचे थे. लोग बताते हैं कि पशुपतिनाथ सिंह और अशोक साव के बीच लड़ाई बराबरी की चल रही थी. लेकिन विधायक एसपी  राय के एक वोट से अशोक साव अध्यक्ष का चुनाव जीत गए. उसे समय पशुपतिनाथ सिंह 19 नंबर वार्ड से वार्ड पार्षद थे. यह अलग बात है कि 1995 में जब पशुपतिनाथ सिंह चुनावी राजनीति में ताकत के साथ प्रवेश किया तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. तीन बार के विधायक, तीन बार सांसद, झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, मंत्री का रिकॉर्ड उनके खाते में दर्ज है. उनके समर्थक आज भी उन्हें अपराजिता सांसद बताते है. बात भी सच है 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने पशुपतिनाथ सिंह को टिकट नहीं दिया. उस समय के बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया और वह चुनाव जीत गए. ढुल्लू महतो अभी धनबाद के सांसद है. 1988 में नगर पालिका का चुनाव हुआ था. 

1988 में नगरपालिका में कुल 30 वार्ड थे 

उस समय नगर पालिका में कुल 30 वार्ड थे. इतिहास के आईने में देखा जाए तो वार्ड नंबर 1 से महादेव दत्ता वार्ड पार्षद थे, वार्ड नंबर 2 से जगत महतो , वार्ड नंबर 3 से मुरलीधर साहू, वार्ड नंबर 4 से संजय कुमार सिन्हा, 5 से महादेव दत्ता, 6 से बुचन पांडे, 7 से देवेंद्र नाथ मंडल, 8 से रामाशंकर सिंह, 9 से सुंदर प्रसाद यादव, 10 से कृष्ण चंद्र मंडल,11 से संतलाल सिंह, 12 से विपिन कुमार अग्रवाल, 13 से हिमांशु पाठक, वार्ड नंबर 14 से मोहम्मद नजीर, वार्ड नंबर 15 से चंद्रिका सिंह, वार्ड नंबर 16 से अब्दुल हफीज, वार्ड नंबर 17 से योगेश व्यास, वार्ड नंबर 18 से जनार्दन प्रसाद सिंह, वार्ड नंबर 19 से पशुपतिनाथ सिंह, वार्ड नंबर 20 से अशोक कुमार साव , वार्ड नंबर 21 से लक्ष्मण यादव, वार्ड नंबर 22 से रामाधार यादव, वार्ड नंबर 23 से गोविंद राम अग्रवाल, वार्ड नंबर 24 से राजेंद्र प्रसाद साव, वार्ड नंबर 25 से रामजी भगत, वार्ड नंबर 26 से नरेश प्रसाद, वार्ड नंबर 27 से निर्मल कुमार मुखर्जी समेत अन्य थे. बताया जाता है कि 1988 में हुए नगर पालिका चुनाव का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद बिहार सरकार ने इसका एक्सटेंशन दिया  था. उसके बाद नगर पालिका के चुनाव हुए ही नहीं.

1988 के बाद सीधे 2010 में निगम का चुनाव हुआ था 
 
सीधे 2010 में नगर निगम का चुनाव हुआ. 2010 के चुनाव में एकमात्र वार्ड पार्षद रिपीट किये, जिनका नाम निर्मल कुमार मुखर्जी है. निर्मल निर्मल मुखर्जी तीसरी बार वार्ड पार्षद का चुनाव जीते है. 1988 में जो वार्ड पार्षद चुनाव जीते, उनमें से कई दिवंगत हो गए है. धनबाद में एक  दिसंबर 2006 को निगम का गठन हुआ था. 10 लाख की आबादी पूरी होने के बाद कई इलाकों को मिलाकर निगम बनाया गया. लेकिन 2006 के गठन के बाद चुनाव हुआ. 2010 में इस चुनाव में भी काफी गहमागहमी रही और इंदु देवी पहली मेयर चुनी गई. उसके बाद दिवंगत कांग्रेस नेता नीरज सिंह डिप्टी मेयर चुने गए. 5 साल तक कार्यकाल चला, उसके बाद 2015 में चुनाव हुआ. 2015 के चुनाव में भाजपा नेता शेखर अग्रवाल मेयर चुने गए, तो नीरज सिंह के भाई एकलव्य सिंह डिप्टी मेयर बने. इसका कार्यकाल खत्म होने के बाद निगम के चुनाव की प्रतीक्षा की जा रही है. फिलहाल निगम का कामकाज सरकार की देखरेख में है. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो