TNP DESK- सनातन धर्म में दीपावली का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. सनातन धर्म को मानने वाले लोग दीपावली के पर्व का इंतजार करते हैं. हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है. इस त्यौहार को मनाने के लिए लोग पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन प्रभु राम लंका पर विजय पाकर अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दीपावली के दिन लोग एक मिट्टी के दीपक में सरसों या करंज तेज से ही क्यों दिया जलाते हैं. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि दीपावली की रात क्यों जलाया जाता है तेल का दीपक तो चलिए जानते हैं .....

मिट्टी के दीए में सरसों के तेल डालकर दीपक जलाते हैं क्योंकि मिट्टी में मंगल का वास होता है और सरसों का तेल भगवान शनि की अनुकूलता और प्रसन्नता के लिए जलाया जाता है. सरसों के तेल का दीपक जलाने से ग्रह संबंधी समस्याओं का निराकरण होता है. समस्त विघ्न बाधाओं का नाश होता है.

क्या आपने कभी सोचा है की दिवाली पर ज्यादातर लोग करंज के तेल के दिए ही क्यों जलते हैं

करंज के तेल आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होता है और इससे कई तरह की दवाई भी बनती है. दिवाली पर इस तेल के दिए इसलिए जलाए जाते हैं ताकि बरसात के बाद उत्पन्न होने वाले तमाम कीड़े मकोड़े नष्ट हो जाए और  पर्यावरण पूरी तरह से शुद्ध हो जाए. यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. यही कारण है दिवाली पर ज्यादातर लोग करंज के तेल के दिए ही जलाते हैं.